अखिलेश यादव ने आंबेडकर जयंती पर दी श्रद्धांजलि, कहा- ''PDA की एकता ही संविधान और आरक्षण बचाएगी''
punjabkesari.in Monday, Apr 14, 2025 - 11:46 AM (IST)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने सोमवार को बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और लोगों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर एक लंबी पोस्ट में यादव ने कहा, ‘‘बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की जयंती के पावन अवसर पर सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।''
'संविधान सुरक्षित रहेगा तो हम सबका मान-सम्मान सुरक्षित रहेगा'
अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘आईए, ‘सामाजिक न्याय के राज' की स्थापना के लिए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान' की अनुभूति को और सुदृढ़ करके, एकजुट होकर बाबासाहेब की देन व धरोहर ‘संविधान और आरक्षण' बचाने के ‘पीडीए' के आंदोलन को नयी ताकत प्रदान करें व दोहराएं कि ‘संविधान ही संजीवनी' है और ‘संविधान ही ढाल है' और ये भी कि जब तक संविधान सुरक्षित रहेगा, तब तक हम सबका मान-सम्मान-स्वाभिमान और अधिकार सुरक्षित रहेगा।'' उन्होंने कहा, ‘‘आईए, ‘स्वमान' के तहत हम अपने सौहार्दपूर्ण, समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतांत्रिक मानक और मूल्यों के साथ ही अपनी ‘स्वयं की एकता' के मूल्य को समझकर, इस ‘पीडीए' रूपी एकजुटता की परिवर्तनकारी शक्ति का भी मान समझें।''
बाबासाहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की जयंती के पावन अवसर पर सबको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 14, 2025
आइए ‘सामाजिक न्याय के राज’ की स्थापना के लिए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान’ की अनुभूति को और सुदृढ़ करके, एकजुट होकर बाबासाहेब की देन व धरोहर ‘संविधान और आरक्षण’ बचाने के पीडीए के आंदोलन को नई… pic.twitter.com/ZS7RG5baLk
‘पीडीए की एकजुटता ही सुनहरा भविष्य बनाएगी'
अखिलेश यादव ‘पीडीए' का जिक्र ‘पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक' के संदर्भ में करते हैं। यादव ने कहा, ‘‘‘स्वाभिमान-स्वमान' के माध्यम से ही ‘पीडीए' समाज के लोग अपनी निर्णायक शक्ति हासिल करके उत्पीड़न, अत्याचार और पीड़ा से मुक्त होकर, स्वाभिमान से जीने का हक और अधिकार हासिल कर पाएंगे और दमनकारी, उत्पीड़नकारी, वर्चस्ववादी, प्रभुत्ववादी, शक्तिकामी नकारात्मक ताक़तों को सांविधानिक जवाब दे पाएंगे।'' सपा नेता ने कहा कि ‘पीडीए' की एकता ही संविधान और आरक्षण बचाएगी, ‘पीडीए' की एकजुटता ही सुनहरा भविष्य बनाएगी। आइए अपने ‘स्वाभिमान-स्वमान' के इस संघर्ष को समारोह में बदल दें।