Allahabad High Court ने कहा- जीवन साथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध न बनाने देना मानसिक क्रूरता
punjabkesari.in Friday, May 26, 2023 - 06:48 PM (IST)
प्रयागराज, Allahabad High Court: पति-पत्नी के एक केस को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने एक अपील को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा है कि जीवन साथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देना मानसिक क्रूरता है। इसी आधार पर हाई कोर्ट ने वाराणसी के दंपत्ति को विवाह विच्छेद की अनुमति भी दे दी। बता दें कि यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार चतुर्थ की खंडपीठ ने दिया है।
जानिए क्या है मामला?
दरअसल, पारिवारिक न्यायालय ने याची की विवाह विच्छेद की अर्जी खारिज कर दी थी। पारिवारिक न्यायालय के फैसलें को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इसको लेकर हाई कोर्ट में अपील की गई थी। इसी केस में हाईकोर्ट ने जीवन साथी के साथ लंबे समय तक यौन संबंध बनाने की अनुमति न देने को मानसिक क्रूरता बताया है। याची का विवाह 1979 में आशा देवी संग हुआ था। शादी के कुछ समय के बाद पत्नी का व्यवहार बदल गया। उसने पत्नी के रूप में रहने से इन्कार किया। आपसी संबंध नहीं बने जबकि दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे। पत्नी ने दूसरी शादी कर ली।
बताया जा रहा है कि इस दौरान दोनों एक ही छत के नीचे रहते थे। मगर दोनों के बीच संबंध नहीं बने। कुछ दिनों बाद पत्नी मायके चली गई। बताया जा रहा है कि इसके कुछ दिनों बाद पति ने पत्नी से घर वापस आने के लिए कहा। मगर पत्नी ने साफ मना कर दिया। इसके बाद साल 1994 में गांव में पंचायत हुई। इसमें 22 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के बाद आपसी समझौता हो गया। पत्नी ने बाद में दूसरी शादी कर ली। इस दौरान पति ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी, लेकिन पत्नी कोर्ट नहीं पहुंची। इस दौरान पारिवारिक न्यायालय ने पति की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने की ये टिप्पणी
इस पर कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद लंबे समय तक पति-पत्नी अलग रहते थे। पत्नी के लिए वैवाहिक बंधन का कोई सम्मान नहीं था। उसने अपने दायित्वों का निर्वहन करने से इंकार कर दिया। इससे यह साबित हो गया कि दोनों की शादी टूट चुकी है।