कानपुर के डीएवी कॉलेज में सीखा था अटल जी ने राजनीति का ककहरा

punjabkesari.in Friday, Aug 17, 2018 - 11:22 AM (IST)

कानपुरः  करीब छह दशकों तक देश के राजनीति क्षितिज में चमकने वाले सितारे‘भारत रत्न’अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति का ककहरा उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर में सीखा था। इस कॉलेज में अटल के पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी सहपाठी की भूमिका में भी थे।  

वर्ष 1924 में ग्वालियर के एक ब्रामहृण परिवार में जन्मे राजनीति के इस पुरोधा ने वर्ष 1946 में कानपुर के दयानंद एंग्लो वैदिक (डीएवी) कॉलेज में राजनीति शास्त्र से परास्नातक की डिग्री हासिल की। डीएवी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग में बोर्ड पर अब भी वाजपेयी का नाम लिखा हुआ है। उस जामाने में हालांकि यह कॉलेज आगरा विश्वविद्यालय से संबद्ध था। बहुंमुखी प्रतिभा के धनी वाजपेयी सहपाठियों के बीच कम समय में ही काफी लोकप्रिय हो गये थे। उनकी कविताओं को सुनने के लिये सहपाठी उन्हें घेरे रहते थे। पूर्व प्रधानमंत्री के साथ राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने वाले वयोवद्ध रामकृष्ण पोद्दार बताते हैं कि अटल की वाक शैली और कविताओं के उनके सहपाठियों के अलावा अध्यापक भी कायल थे।   

वाजपेयी ने वर्ष 1945 में राजनीतिक विज्ञान में एमए में दाखिला लिया और 1947 में उन्हें परास्नातक की डिग्री मिली। इसके बाद उन्होने 1948 में डीएवी कॉलेज से ही एलएलबी की पढाई शुरू की। इस बार उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी उनके सहपाठी बने । पोद्दार हालांकि उस समय वाजपेयी के सहपाठी नहीं थे, लेकिन वह बताते हैं कि पिता पुत्र को एक ही कक्षा में पढ़ाई करने के किस्से कॉलेज में बहुत मशहूर थे। जब कभी अटल को कक्षा में आने में देरी होती तो कॉलेज के अध्यापक उनके पिता से पूछते थे कि पंडित जी आपके साहबजादे कहां है तब कृष्ण बिहारी सफाई देते हुये कहते कि घर की कुंडी बंद करके पीछे पीछे आ रहा होगा।  

 

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की गतिविधियों में रूचि रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री हालांकि एलएलबी की पढाई यहां पूरी नहीं कर सके। वर्ष 1949 में संघ के आदेश को पूरा करने वह लखनऊ चले गये और डीएवी कॉलेज में उनकी पढ़ाई पर विराम लग गया। वाजपेयी को वर्ष 1993 मे कानपुर विश्वविद्यालय ने दर्शन शास्त्र में पी.एच डी की मानद उपाधि से सम्मानित किया था।   


 

Ruby