अंबेडकर की आड़ में दलितों को रिझाने की कोशिश! गुणगान में लगी राजनीतिक पार्टियां
punjabkesari.in Sunday, Apr 11, 2021 - 11:45 AM (IST)
लखनऊ: मिशन 2022 के मद्देनजर यूपी में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती के आने से पहले ही राजनीतिक पार्टियों का बाबा साहेब के प्रति एकदम से प्रेम उमड़ पड़ा है। इसके लिए पार्टियां एक से बढ़कर एक कार्यक्रम करने की तैयारी में जुटी हैं, लेकिन इस बात से भी कोई अनजान नहीं है कि सभी का मकसद सिर्फ एक है, वो है दलित वोट बैंक।
चलिए आपको विस्तार से बताने की कोशिश करते है, अप्रैल 14 यानी बाबा साहेब की जयंती पर बीजेपी इस दिन समरसता दिवस मनाने जा रही है तो वहीं डॉ लोहिया की माला जपने वाली समाजवादी पार्टी दलित दिवाली मनाने के साथ-साथ बाबा साहेब वाहिनी भी बनाने जा रही है। बात करें बहुजन समाज पार्टी की तो उनकी तो राजनीति ही बाबा साहेब के ईर्दगिर्द ही घूमती है। कांग्रेस के लिए भी ये दिन महत्वपूर्ण हैं।
समीकरणों के हिसाब से देखा जाए तो यूपी में 21 से 22 % दलित वोट बैंक है जिसकी बागडौर बसपा के हाथ में थी, लेकिन पिछले लोकसभा चुनावों में लगभग 75 प्रतिशत जाटवों ने SP-BSP और RLD गठबंधन को वोट दिया, लेकिन गैर-जाटव दलितों में से लगभग 42 प्रतिशत ने ही उन्हें वोट दिया। गैर जाटव दलित मतदाताओं में से 48 प्रतिशत ने बीजेपी उम्मीदवारों को चुना। तो स्थिति साफ है बीजेपी और कांग्रेस के निशाने पर जाटव को छोड़कर बाकी दलित जातियां है। तो दूसरी तरफ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के निशाने पर भी कांग्रेस और बीजेपी हैं, ये भी देखना होगा कि सूबे का दलित मतदाता क्या मायावती का साथ छोड़कर अखिलेश यादव के साथ आएगा, लेकिन कौन सी पार्टी दलितों को लुभा पाती है तो ये आगामी चुनाव के परिणाम ही तय करेंगे।