वकील की भूमिका में नजर आए आजम, जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर चल रही जांच पर दिए जवाब
punjabkesari.in Tuesday, Jun 11, 2019 - 02:03 PM (IST)
रामपुरः मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी को लेकर की जा रही जांच पड़ताल के खिलाफ इसके चांसलर और संस्थापक एंव पूर्व मंत्री आजम खान एक वकील की भूमिका में नजर आए। वह कानूनी दांवपेच और प्रशासनिक कार्रवाई करने वाले अफसरों को मीडिया के जरिए समझाते हुए दिखे। उन्होंने सभी कानूनी बिंदुओं को यूनिवर्सिटी में एक प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया के सामने रखे।
हमारी ही जमीन पर 8 लाख रुपये का प्रति माह लगाया गया जुर्माना
आजम खान ने कहा कि हमारी ही जमीन पर तकरीबन 8 लाख रुपये का प्रति माह जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना जिलाधिकारी एक्ट में लगाया गया है। तकरीबन 4 करोड़ रुपये का सैस भेजा गया है। उन्होंने कहा कि 60 हजार रुपये में इंजीनियर बनाने वाली यूनिवर्सिटी 8 करोड़ रुपये कहां से देगी। उन्होंने कहा कि ऐसा हमारे साथ इसलिए हो रहा है क्योंकि हम कमजोरों को पढ़ा रहे हैं। मैं टूट नहीं रहा हूं। इस तरह शिक्षा के मंदिर को खत्म करने की कोशिश की जी रही है। मैं यह जानता हूं जो कुछ हो रहा है सही नहीं है।
प्रशासनिक कार्रवाई के चलते वापस नहीं आए रजिस्ट्रार-उपकुलपति
उन्होंने कहा कि 8सौ एकड़ भूमि का लैंड यूज चेंज हो चुका है। फिर वो कोई नियम नहीं लगता जो खेती की जमीन पर लगता है। जाहिर है ताकत के आगे कुछ नहीं है। बुलडोजर को हम नहीं रोक सकते, जब चाहे पूरी यूनिवर्सिटी गिरा दें, कौन रोक लेगा। प्रशासनिक कार्रवाई के चलते यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और उपकुलपति वापिस नहीं आए। उन्होंने कहा कि हमारा इससे कोई नुकसान फायदा नहीं है। गाड़ी भी हमारी अपनी है। तेल भी हम अपना डालते हैं। उन्होंने कहा कि 4 बार के कैबिनेट मंत्री, 9 बार के विधायक, राज्यसभा के सदस्य रहे व्यक्ति पर झूठी रपट हो सकती है तो सोचो देश और समाज कैसे चलेगा।
देश कानून से चलता है, किसी की हठधर्मी या मनमानी से नहीं
आजम खान ने कहा कि 1947 से लेकर आज तक शैक्षिक योगदान सरकारों का कितना रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। सरकारों का संवैधानिक दायित्व है कि प्रत्येक नागरिक को शिक्षा दे। यहां विभिन्न निजी शैक्षिक संस्थान हैं, लेकिन कभी कोई खबर नहीं सुनते होंगे क्योंकि विश्वविद्यालय कोई खेल तमाशे का नाम नहीं है। लाॅ एंड ऑर्डर के बारे में बताते हुए उन्होंने अलीगढ़ का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि घर के दरवाजे खुले नहीं रखे जा सकते। उर्दू गेट को गैर कानूनी तरीके से गिराया गया। सरकारी या निजी सम्पत्ति को अगर कोई व्यक्ति क्षति पहुंचाता है तो कानून में सजा उम्रकैद है। इतना बड़ा देश कानून से चलता है, किसी की हठधर्मी या मनमानी से नहीं।
जौहर यूनिवर्सिटी पर कोई आपराधिक रपट या NCR नहीं
उन्होंने कहा कि मेरे पास विश्वविद्यालय के स्वामित्व के सभी कानूनी दस्तावेज हैं। 7 बरस बाद हम पर मुकदमा किया गया, जबकि शिकायत करने का वक्त सिर्फ 6 माह होता है। जिन लोगों ने जमीन कब्जाने के मुकदमें किए थे, वह सारे जीत गए और मुझे सच साबित करने के लिए लड़ना पड़ा। दुनिया का पहला संस्थान जौहर यूनिवर्सिटी है, जिस पर कोई आपराधिक रपट या NCR नहीं है। बच्चों के इम्तिहान और दाखिले के वक्त संस्थान में भारी पुलिस के साथ बिना अनुमति के दाखिल होना, जबकि यूजीसी का एक्ट है कि ऐसा नहीं किया जा सकता जब तक कोई अपराधिक वारदात न हो। देशभर के बच्चों में इससे दहशत फैली। यह सब कुछ पूर्व नियोजित है जोकि दुखद है।