बाबा विश्वनाथ के दर्शन करना अब होगा आसान
punjabkesari.in Thursday, Aug 04, 2016 - 12:40 PM (IST)
लखनऊ: देश-विदेश के श्रद्धालुओं के केन्द्र काशी के बाबा विश्वनाथ का दर्शन करना अब आसान होगा, क्योंकि अखिलेश यादव सरकार ने संकरे रास्ते को 40 करोड रुपये की लागत से चौडा कराने के साथ ही उसके सौन्दर्यीकरण का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने इसके साथ ही अयोध्या में सत्संग भवन बनवाने का फैसला लिया है। सत्संग भवन के निर्माण पर छह करोड रुपये खर्च होने की संभावना है। भवन का शिलान्यास मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आगामी छह अगस्त को लखनऊ में करेंगे।
आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि बाबा विश्वनाथ तक श्रद्धालुओं को ले जाने वाली गली काफी संकरी है। कभी कभी भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि दुर्घटना या भगदड की आशंका लगने लगती है। इससे निजात पाने के लिए सरकार ने 40 करोड रुपये की योजना बनायी है, जिसके तहत रास्ते में पडने वाले भवनों को खरीदा जाएगा। उन्होंने बताया कि भवनों को तोड़कर रास्ते को चौड़ा किया जाएगा। उसका सौन्दर्यीकरण किया जायेगा ताकि बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को असुविधा से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि अभी तक सात भवनों का चिन्हीकरण किया गया है। उनका दावा है कि मालिकों ने रास्ते के लिए स्वत: भवनों को हटाने की सहमति दे दी है। इसके लिए उन्हें उचित मुआवजा दिया जायेगा।
सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार ने बाबा विश्वनाथ मंदिर के पास श्रद्धालुओं के लिए प्रतीक्षा कक्ष स्थापित करने का भी निर्णय लिया है ताकि लबी लाइन में लगे श्रद्धालुओं को दर्शन में देरी हो तो वे प्रतीक्षा कक्ष में बैठ सकें और नबर आते ही दर्शन के लिए आगे जा सकें। मंदिर के पास ही अन्न क्षेत्र स्थापित करने का भी निर्णय लिया गया है। उनका कहना था कि वाराणसी की योजनाओं की आधारशिला रखने मुख्यमंत्री वहां जाएंगे हालांकि तिथि अभी तय नहीं है।
उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार ने अन्य स्थानों पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी कई योजनाएं चलायी हैं। मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले तीर्थ यात्रियों को खर्च का पचास फीसदी छूट दिया जाता है, जबकि सिंधु यात्रा के यात्रियों के लिए यह छूट दस प्रतिशत है। हज यात्रियों को पहले से ही 20 प्रतिशत छूट की योजना चल रही है। उन्होंने बताया कि बुजुर्गो के लिए समाजवादी श्रवणयात्रा चल रही है। अपने में अनूठी इस योजना में बुजुर्गो को उनके घर से लाया जाता है। उन्हें रेलगाड़ी से धार्मिक स्थलों पर ले जाया जाता है। वापस उन्हें घर पहुंचाया जाता है। इस सबका पूरा खर्च सरकार उठाती है। उनके रहने और खाने की व्यवस्था भी सरकार के जिमे होती है।