बरेलीः ग्रामीणों क्षेत्रों में कोरोना से दर्जनों मौत का दावा, प्रशासन ने कहा- कराएंगे ऑडिट

punjabkesari.in Wednesday, May 12, 2021 - 06:08 PM (IST)

बरेलीः कोविड-19 की दूसरी लहर में बरेली और उसके आसपास के कई गांवों में संक्रमण पैर पसार रहा है और कई ग्राम प्रधान अपने गांव में बीते कुछ दिनों में महामारी से कई लोगों की मौतों का दावा कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार भी यहां के हालात को लेकर सवाल उठा चुके हैं, जबकि जिला प्रशासन का कहना है कि गांवों में सघन जांच के आदेश दिये गए हैं और मौतों का ऑडिट किया जाएगा।

जिले के आंवला संसदीय क्षेत्र के नगर्रिया सतन गांव की प्रधान गुड्डी देवी का दावा है कि उनके गांव में बीते 10 दिनों में 12 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने बताया कि वह इस बारे में एएनएम-सहायक नर्स से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी को भी सूचना दे चुकी हैं। वहीं, सेंथल टाउन एरिया के अध्यक्ष एजाज कम्बोज ने दावा किया कि उनके इलाके में बीते 15 लोगों में महामारी से 20 लोगों की जान जा चुकी है।

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रवींद्र राठौर ने दावा किया कि नवाबगंज में पिछले 15 दिनों में विधायक केसर सिंह समेत 40 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। जिले के दुनका गांव की प्रधान जरीन बेगम के मुताबिक बीते एक हफ्ते में छह लोग महामारी से मर चुके हैं तो वहीं गणेशपुर के प्रधान प्रेम सिंह दावा करते हैं कि उनके गांव में सात मई से छह लोगों की जान जा चुकी हैं। ग्राम प्रधानों और स्थानीय लोगों के दावों के बीच बरेली के मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डॉ. सुधीर गर्ग का कहना है, “गांवों में जांच न होने और संदिग्ध संक्रमितों की सूचना मिली है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) प्रभारियों को सघन जांच के आदेश दिये गए हैं और मौतों का ऑडिट किया जाएगा। रोजाना संक्रमण के 500 से 750 नए मामले सामने आ रहे हैं।” 

बरेली में तीन मेडिकल कॉलेज समेत 18 कोविड अस्पताल हैं और इन सभी अस्पतालों की निगरानी के लिये नोडल अधिकारी नामित किये गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बरेली दौरे के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गंगवार ने आठ मई को पत्र लिखकर जिले में कोविड-19 को लेकर कुप्रबंधन और अधिकारियों द्वारा फोन नहीं उठाए जाने समेत कई शिकायतें की थीं। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री गंगवार ने बीते शनिवार को मुख्यमंत्री को सौंपे पत्र में कहा, “ऐसे मामले आ रहे हैं कि रेफरल होने के बाद भी पीड़ित मरीज जिस सरकारी अस्पताल में जाता है वहां उससे कहा जाता है कि जिला अस्पताल से दोबारा रेफर करवाकर आइए। इससे मरीज की हालत और बिगड़ती जाती है। यह चिंता का विषय है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि कोविड-19 संक्रमित मरीज को कम से कम समय में रेफरल अस्पतालों में तुरंत भर्ती किया जाए।” 

उन्होंने कोविड-19 के उपचार से संबंधित दवाओं और उपकरणों, ऑक्सीजन सिलेंडरों की कमी और ज्यादा कीमत पर उन्हें बेचे जाने की भी शिकायत की। बरेली के जिलाधिकारी नितीश कुमार का हालांकि दावा है कि जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। जिलाधिकारी ऑक्सीजन की कमी न होने का दावा कर रहे हैं लेकिन जिले की औषधि निरीक्षक उर्मिला वर्मा ने बताया कि शहर के तीन अस्पतालों में 20 प्रतिशत ऑक्सीजन की बर्बादी का मामला सामने आया है। वर्मा ने कहा, “हमारी रिपोर्ट के मुताबिक राजश्री मेडिकल कालेज, श्री साईं सुखदा और मेधांश अस्पताल में 20 प्रतिशत ऑक्सीजन बर्बादी की बात सामने आई है, इसकी जांच की जा रही हैं।” राज्य के पूर्व मंत्री भगवत सरन गंगवार का दावा है कि जिला प्रशासन शासन के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करा पा रहा है। 

उन्होंने आरोप लगाया कि यही कारण है बरेली में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा नीचे नहीं आ रहा है। कुमार ने कहा, “कोविड की रोकथाम के लिये जिला प्रशासन ने आंशिक कर्फ्यू/लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ाए जाने का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है।” वहीं कोविड अस्पतालों में मरीजों से अवैध वसूली के लग रहे आरोपों पर सीएमओ गर्ग ने बताया कि एक अस्पताल द्वारा मरीज से ज्यादा वसूली की शिकायत आई थी जिसकी जांच के आदेश दिये गए हैं। 
 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj