आजम खां के इस विवादित बयान पर अब SC की संवैधानिक पीठ सुनाएगी फैसला

punjabkesari.in Thursday, Oct 05, 2017 - 04:57 PM (IST)

नई दिल्ली/रामपुरः चर्चित बुलंदशहर गैंगरेप मामले में सपा के कद्दावर नेता आजम खान द्वारा किए गए विवादित बयान ने उन्हें फिर से मुसीबत में डाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जज एंव जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के जजों के बारे में की गई टिप्पणी पर सख्त नाराजगी जाहिर की है।

उल्लेखनीय है कि बुलंदशहर गैंगरेप मामले में आजम खान के विवादित बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। इससे पहले कोर्ट से आजम खान ने बिना शर्त माफी मांग ली थी और कोर्ट ने उस माफीनामे को स्‍वीकार भी कर लिया था।

सीनियर मेंबर ने जज पर लगाए संगीन आरोप
इस दौरान जस्टिस इस बात से भी आहत नजर आए कि कैसे बार एसोसिएशन के सीनियर मेंबर ने जजों पर सरकार का पक्ष लेने का आरोप लगाया। दरअसल इस दौरान बार के एक सीनियर मेंबर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में ज़्यादातर जज सरकार का पक्ष लेने वाले है, उन्हें कोर्ट में आकर देखना चाहिए कि कैसे अदालत, लोगों के हितों की रक्षा को लेकर सरकार को घेरती है।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी इसलिए भी अहम है क्योंकि कल ही गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट असीम पांड्या ने  सोशल मीडिया पर एक ओपन लेटर लिखकर जजों पर सरकार के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था।

सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर जताई चिंता
जिसके तहत सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल पर भी चिन्ता जाहिर की। कोर्ट ने कहा- लोग बिना तथ्यों की पड़ताल किए, कोर्ट की कार्यवाही के बारे में ग़लत जानकरी फैलाते है। वहीं हरीश साल्वे ने भी इस पर सहमति जताते हुए कहा कि ट्वीत पर गाली -गलौच के चलते उन्होंने अपना ट्वीटर एकाउंट डिलीट कर दिया था। सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि लोग भी दूसरों की निजता का हनन कर रहे है।

सुपीम कोर्ट की संविधान बेंच लेगी फैंसला
वहीं दूसरी ओर क्या मंत्री या सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे मामलों में बयान देने से रोका जा सकता है, जिनमे जांच जारी है? सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच अब ये तय करेगी कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की  बेंच ने  सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे और फली नरीमन की ओर से उठाए गए सवालों के बाद  मामला आगे विचार के लिए संविधान बेंच को सौप दिया है। संविधान बेंच को ये तय करना है कि क्या ऐसे संजीदा मामलों में भी मंत्री या सार्वजनिक पद पर बैठे लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई दे सकते है।

आजम के इस बयान पर उठा था बवाल
दरसअल ये मामला बुलंदशहर गैंगरेप मामले में आज़म खान के बयान से शरू हुआ था। आजम खान ने गैंगरेप को राजनीतिक साजिश बताया था। घटना की नाबालिग पीड़िता ने इसकी शिकायत सुप्रीम कोर्ट से की थी। बाद में कोर्ट ने आज़म का माफीनामा कबूल कर लिया था। लेकिन इसके बाद कोर्ट ने बड़े पद पर बैठे लोगों की आपराधिक मामलों पर बेवजह बयानबाज़ी पर लगाम लगाने के मसले पर भी सुनवाई शुरू की थी।