DM सी. इंदुमति की बढ़ी मुश्किलें, BJP विधायक देवमणि द्विवेदी ने की CM योगी से पदमुक्त करने की मांग

punjabkesari.in Wednesday, Sep 09, 2020 - 10:36 AM (IST)

सुलतानपुर: उत्तर प्रदेश के सुलतानपुर जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कोरोना किट सामग्री खरीद में हुई गड़बड़ी का ठीकरा जिलाधिकारी के सर मढ़ते हुए उन्हे पदमुक्त किये जाने की मांग की है। भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा हैं, जिसमें जिलाधिकारी को ही पूरी तरह जिम्मेदार ठहराते हुए इन्हें पद मुक्त करके विभागीय जांच सुनिश्चित किए जाने की मांग की है।

जिले की लंभुआ सीट से विधायक ने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों की अपेक्षा सुलतानपुर जिले में कोरोना किट व संबंधित सामग्री महंगी कीमत पर खरीदी गई है। इसकी शिकायत उन्होंने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से की थी। प्रमुख सचिव का पत्र मिलने के तुरंत बाद जिलाधिकारी सुलतानपुर सी इंदुमती द्वारा सार्वजनिक रूप से उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश की गई। इसके लिए त्वरित आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कोरोना किट की खरीद को शासनादेश के अनुरूप बताया गया।

द्विवेदी ने बताया है कि मीडिया को जारी विज्ञप्ति में जिलाधिकारी ने खुद ही 24 जुलाई के शासनादेश का जिक्र किया है। इसके बावजूद कई दिन तक महंगी कीमत तक क्रय किए गए सामग्री का भुगतान किया जाता रहा। जिलाधिकारी ने भुगतान पर कोई रोक नहीं लगाई, जिससे उनकी मंशा संदिग्ध है। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक अगस्त 2020 को जिले के शासकीय व्हाट्सएप पर विभिन्न अफसरों ने डीएम के आदेशों का जिक्र करते हुए एडीओ पंचायत पर प्रत्येक ग्राम पंचायतों से भुगतान के लिए दबाव बनाया गया। जो डीएम की मंशा को परिलक्षित करता है। विधायक ने इसके साक्ष्य अपने पास सुरक्षित होने का हवाला भी दिया है।

विधायक ने पत्र में एक बार फिर दोहराया है कि कोविड किट खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप पूरी तरह सही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जिलाधिकारी द्वारा लगातार बयान दिए जा रहे हैं, जिससे सरकार की स्वच्छ छवि को आघात पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। जिलाधिकारी की स्वीकृति से ही बड़े पैमाने पर सरकारी रकम का दुरुपयोग किया गया है। जो एक लोकसेवक के दायित्व को भी सही नहीं ठहराता है। शासन द्वारा डीपीआरओ सुलतानपुर को निलंबित कर दिया गया है किंतु जिलाधिकारी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस दौरान जिलाधिकारी के पद पर बने रहने से जांच प्रक्रिया को पारदर्शी नहीं बनाया जा सकता है। सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त नीति के तहत जिलाधिकारी को तत्काल पद मुक्त करते हुए विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

Umakant yadav