खेती का विलय कारपोरेट क्षेत्र में करना चाहती है भाजपा: अखिलेश

punjabkesari.in Monday, Aug 10, 2020 - 08:06 PM (IST)

लखनऊः समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बड़े उद्योग घरानो के हितों की पैरोकार भारतीय जनता पाटर्ी (भाजपा) सरकार खेती का विलय कारपोरेट क्षेत्र में करना चाहती है। 

अखिलेश यादव ने सोमवार को कहा कि किसान की हालत दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। भाजपा सरकार की प्राथमिकता में बडे़ उद्योग घरानों का हित साधन है। किसान को किसान नहीं रहने देने के पूरे इंतजाम करने पर भाजपा सरकार उतारू है। भाजपा की कुद्दष्टि खेतों पर है। प्रधानमंत्री कृषि ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड लांच करने की घोषणा करते हैं पर किसान को यूरिया और बीज तक तो समय से मिल नहीं पा रहा है। यह फण्ड भी किसान समूहों को मिलेगा। मंशा साफ है भाजपा खेती को कारपोरेट क्षेत्र में विलय करने में लग गई है। सच तो यह है कि भाजपा सरकार बहुराष्ट्रीय और कारपोरेट घरानों के हितों की पैरोकारी में खेती, गांव, किसान को उनका बंधक बनाने की योजना लागू करना चाहते है। उनके इरादे विरोधाभासी है जिसमें सिर्फ धोखा ही धोखा है।

उन्होने कहा कि भाजपा सरकार ने वादा किया था कि वह 2022 तक किसानों की आय दो गुना कर देगी, न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाएगी और किसान का पूरा कर्ज माफ करेगी लेकिन हकीकत में तो भाजपा ने किसानों के साथ सिफर् गोलमाल ही किया है। किसानों को राहत देने के बजाय डीजल के दाम बढ़ा दिए, किसान की फसल को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटाकर पूरे देश को बाजार बनाकर बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को किसानों के उत्पाद औने पौने दाम पर खरीदकर उसके शोषण का रास्ता खोल दिया।  उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक आपदा, गन्ने का बढ़ता बकाया, बिचौलियों द्वारा फसलों की लूट और कर्ज से बेहाल हजारों किसान अब तक आत्महत्या कर चुके हैं। महोबा में बैंक कर्ज और आर्थिक परेशानियों के चलते कल ही किसान रमाशंकर रैकवार (50वर्ष) ने फांसी लगाकर जान दे दी। भाजपा सरकार ने इस सम्बंध में अमानवीय रवैया अपना रखा है।     

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार का किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने में कोई मुकाबला नहीं है। अभी तक 20 लाख करोड़ की गिनती भी नहीं कर पाए एक और किश्त एक लाख करोड़ की किसानों को भेजने की घोषणा कर सबको चकाचौंध कर दिया है। गरीब किसान इतनी भारी रकम कहां रख पाएगा। उत्तर प्रदेश में किसान पहले अतिवृष्टि, ओलावृष्टि एवं आकाशीय आपदा से बदहाल रहा, इधर बाढ़ ने तबाह कर रखा है। कई जलमग्न गांवों का सम्पकर् टूट गया है। तटबंध टूट गए हैं। पशुओं को चारा भी नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय प्रशासन ने उनकी अब तक सुध नहीं ली है। लोगों को राशन, किरोसिन तेल, दूध, दवाओं का अभाव झेलना पड़ रहा है। किसानों की फसल डूब गई है। भाजपा सरकार ने न तो पहले आपदा के शिकार लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिया और नहीं अब राहत पहुंचा रही है। अधिकारी पिछली आपदा के आंकलन में ही लगे रहे। मदद सरकारी फाइलों में ही कैद हो गई। अखिलेश यादव ने कहा कि खेतों की सुरक्षा के लिए 2022 में साइकिल की सरकार राज्य के हित में है। समाजवादी सरकार में ही किसान, गरीब और कमजोर वर्गों के हित सुरक्षित रहते हैं।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Ajay kumar

Recommended News

Related News

static