विपक्ष के बायकाट के चलते सूना सा है यूपी विधानसभा का बजट सत्र

punjabkesari.in Saturday, Jul 22, 2017 - 04:29 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर-प्रदेश विधानसभा में विपक्षी दलों के सदन की कार्यवाही का बहिष्कार के कारण बजट सत्र सूना सा है। इस दौरान वर्ष 2017-18 का बजट तथा विपक्ष की गैर हाजिरी में कुल 69 मदों के प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किए गए। 11 विभागों का बजट अनुदान भी पारित कर दिया गया।

तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार 11 जुलाई से शुरू हुआ बजट सत्र 28 जुलाई तक चलना था। इसमें कुल 14 बैठकें होनी थी। विपक्ष के 20 जुलाई से पूरे बजट सत्र के बायकाट के निर्णय के बाद विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने सत्र को छोटा कर 24 जुलाई कर दिया है। सदन की 20 तथा 21 जुलाई को हुई बैठकों में विपक्षी दल उपस्थित नहीं रहे। दीक्षित ने सदन को बताया कि अब केवल एक बैठक आगामी सोमवार को होगी।

पिछले 11 जुलाई से शुरू हुए बजट सत्र के दौरान गत 19 जुलाई को मुख्यमंत्री योगी ने कहा था कि लोक सेवा आयोग की नियुक्तियों में व्यापक पैमाने पर धांधली हुई है, इसलिए 2012 से अब तक हुई नियुक्तियों की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो से कराई जाएगी। हरियाणा के एक मुख्यमंत्री नियुक्तियों में धांधली के आरोप में 10 वर्षों से जेल में हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी(सपा) सरकार के कार्यकाल में आयोग की नियुक्तियों पर कई बार सवाल खड़े किए है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय तक को इस मामले में दखल देना पड़ा था।

योगी ने कहा था प्रदेश के नौजवानों का हक मरने नहीं देंगे। नियुक्तियों में उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा रखी थी। नियुक्तियों के कागजातों में आग भी लगा दी गई। अब ऐसा नहीं होगा। सदन में मुख्यमंत्री भाषण के दौरान काफी आक्रामक दिखे। उन्होंने सपा पर तीखे वार किए। उनका कहना था कि बहुजन समाज पार्टी(बसपा) विधानमण्डल दल के नेता लालजी वर्मा कह रहे थे कि फाइलें जलाई गई। पुलिस भर्तियों में व्यापक धांधली की गई। 3 वर्ष में डेढ़ लाख पुलिसकर्मियों की भर्ती की जाएगी। इसी वर्ष 33 हजार करेंगे जिसमें 3 हजार उपनिरीक्षक और 30 हजार सिपाहियों की भर्ती होगी।

योगी ने कहा कि दस वर्षों में जितनी भी नियुक्ति हुई सब पर अंगुली उठी, क्योंकि नियुक्ति करवाने वालों की नीयत साफ नहीं थी। युवाओं को उनके हक से वंचित किया गया। विरोधी दल और सपा के वरिष्ठ नेता राम गोविन्द चौधरी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि आप लोग वित्तविहीन विद्यालय के शिक्षकों को उकसाकर बवाल मचवाते हैं।शिक्षक भर्ती नहीं हुए तो इसके दोषी आप हैं, मेरी सरकार नहीं। मुझे आए तो अभी 4 महीने ही हुए हैं। उनके माध्यम से आप लोग अराजकता फैला रहे हैं। सरकार यदि वित्तीय मदद देगी तो विद्यालय का अधिग्रहण करना होगा। यह प्रबंध तंत्र के स्वायत्तता में हस्तक्षेप है। आप लोग शिक्षितों को भिखमंगा क्यों बना रहे हैं। उनकी सरकार तो युवाओं को स्वावलंबी बनाना चाहती है।