''मनुस्मृति पढ़ाने के प्रस्ताव को रद्द करना स्वागत योग्य कदम...'' DU के फैसले पर मायावती ने जताई खुशी
punjabkesari.in Friday, Jul 12, 2024 - 01:03 PM (IST)
Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का विरोध करने और उसे रद्द करने का फैसले का स्वागत किया है। मायावती ने इस फैसले को स्वागत योग्य फैसला बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
'मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध स्वाभाविक'
बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, ''भारतीय संविधान के मान-सम्मान व मर्यादा तथा इसके समतामूलक एवं कल्याणकारी उद्देश्यों के विरुद्ध जाकर दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध स्वाभाविक तथा इस प्रस्ताव को रद्द किए जाने का फैसला स्वागत योग्य कदम।''
1. भारतीय संविधान के मान-सम्मान व मर्यादा तथा इसके समतामूलक एवं कल्याणकारी उद्देश्यों के विरुद्ध जाकर दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि विभाग में मनुस्मृति पढ़ाए जाने के प्रस्ताव का तीव्र विरोध स्वाभाविक तथा इस प्रस्ताव को रद्द किए जाने का फैसला स्वागत योग्य कदम। 1/2
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मनुस्मृति संविधान से मेल नहीं खाताः मायावती
इससे आगे मायावती ने लिखा कि ''परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने ख़ासकर उपेक्षितों व महिलाओं के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ ही मानवतावाद एवं धर्मनिरपेक्षता को मूल में रखकर सर्व स्वीकार भारतीय संविधान की संरचना की, जो मनुस्मृति से कतई मेल नहीं खाता है। अतः ऐसा कोई प्रयास कतई उचित नहीं।''
2. परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने ख़ासकर उपेक्षितों व महिलाओं के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के साथ ही मानवतावाद एवं धर्मनिरपेक्षता को मूल में रखकर सर्व स्वीकार भारतीय संविधान की संरचना की, जो मनुस्मृति से कतई मेल नहीं खाता है। अतः ऐसा कोई प्रयास कतई उचित नहीं। 2/2
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DU में मनुस्मृति पढ़ाए जाने का हुआ प्रबल विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय ने लॉ फैकल्टी के उस प्रस्ताव को नकार दिया है, जिसमें मनुस्मृति को पढ़ाए जाने की बात कही गई थी। दरअसल, लॉ फैकल्टी ने फर्स्ट और थर्ड ईयर के छात्रों को ‘मनुस्मृति’ पढ़ाने के लिए सिलेबस में संशोधन करने के लिए मंजूरी मांगी थी। इसमें मनुस्मृति पर दो पाठ – जीएन झा की मेधातिथि के मनुभाष्य के साथ मनुस्मृति और टी कृष्णस्वामी अय्यर द्वारा मनुस्मृति की टिप्पणी ”स्मृतिचंद्रिका” को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था। डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, इसलिए प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया गया है। इस पर बसपा प्रमुख मायावती ने खुशी जताई है और फैसले का स्वागत किया है।