CBI ने पूछा- कैसे बने महंत? नरेंद्र गिरि को आपने मरवाया है? तो फूट फूटकर रोने लगा आनंद गिरि...कई बार मांगा पानी

punjabkesari.in Wednesday, Sep 29, 2021 - 06:01 PM (IST)

लखनऊ: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (Akhil Bharatiya Akhara Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की मौत मामले में सीबीआई (CBI) जांच कर रही है। जिसके चलते रविवार को सीबीआई टीम ने तीनों आरोपियों को रिमांड पर लिया है। इसी कड़ी में CBI ने मंगलवार को प्रयागराज में आरोपियों से पूछताछ की। CBI ने तीनों आरोपियों आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी से पहले पुलिस लाइन के अलग-अलग कमरों में पूछताछ की। फिर तीनों को एक साथ बैठाकर देर रात तक सवाल पूछे।

मैंने अपने गुरु को ब्लैकमेल नहीं किया- आनंद गिरि
वहीं पूछताछ के दौरान सीडी और नरेंद्र गिरि को ब्लैकमेल करने के सवाल पर आनंद गिरि कई बार फूट-फूटकर रोया। हर बार यही कहता रहा कि मैंने अपने गुरु को ब्लैकमेल नहीं किया। मेरे पास कोई सीडी नहीं है। इसके बाद अफसरों की टीम ने आनंद से पूछताछ शुरू की। CBI के अफसरों ने एक ही सवाल को अलग-अलग टाइम पर कई बार पूछा।

सवाल पूछने पर बार बार पानी मांगता रहा आनंद गिरि 
CBI अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस लाइन ले जाने के बाद आनंद गिरि को अलग बिठाकर उसे चाय-बिस्किट ऑफर किया गया। उसने कुछ नहीं लिया और चुप रहा। वह पूछताछ के दौरान बार बार पानी मांगता रहा।

CBI ने की थोड़ी सख्ती तो आनंद की आंखों में आए आंसू
इस दौरान आनंद गिरि ने CBI के सवालों का जवाब तो दिया, लेकिन ब्लैकमेलिंग और महिला के साथ वीडियो बनाने वाली बात को नकार दिया। जब CBI ने थोड़ी सख्ती की, तो आनंद की आंखों में आंसू आ गए। उसने पुलिस को बताया कि वह अपना मोबाइल और लैपटॉप पहले ही पुलिस को दे चुका है और उसके पास ऐसा कोई वीडियो और सीडी नहीं है।

CBI ने पूछा- कैसे बने महंत
CBI ने आनंद से साधु, संत और महंत बनने की कहानी पूछी। आनंद ने अपने साधु बनने से लेकर निरंजनी अखाड़े से जुड़ने और फिर महंत नरेंद्र गिरि के संपर्क में आकर, लेटे हनुमान मंदिर में ‘छोटे महाराज’ बनने की पूरी कहानी बयान की।

जवाब देते देते अटक रहा था आनंद गिरि
CBI ने आनंद गिरि से पूछा कि उसके अपने गुरु से रिश्ते कैसे खराब हुए। वो तो उसे बहुत मानते थे? आनंद ने CBI के सवालों का जवाब तो दिया पर बीच-बीच में अटक जा रहा था। CBI ने आनंद के अखाड़े से निष्कासन के बाद उसके द्वारा मीडिया को दिए गए बयानों का भी संज्ञान लिया। इस दौरान आनंद गिरि ने यह भी बताया कि कैसे बाद में कुछ लोगों के प्रयास से लखनऊ में दोनों में लिखित समझौता हुआ, लेकिन गुरु जी ने उसे दोबारा मठ और अखाड़े में प्रवेश नहीं दिलवाया।

गौरतलब है कि महंत नरेंद्र गिरि( Mahant Narendra Giri) 20 सितंबर को अपने मठ के एक कमरे में मृत पाए गए थे। पुलिस के मुताबिक, गिरि ने कथित तौर पर पंखे से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उनके शव के पास 11 पन्नो का सुसाइड नोट मिला है। जिसमें उन्होंने अपने शिष्य महंत आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी पर गंभीर आरोप लगाएं हैं। साथ ही बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj