आयातित कोयले का अतिरिक्त खर्च केन्द्र सरकार उठाए: इंजीनियर्स फेडरेशन

punjabkesari.in Monday, Sep 04, 2023 - 06:26 PM (IST)

लखनऊ: ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्र सरकार के कोयला आयात करने के जारी किए गए ताजा आदेश पर सवाल खड़ा करते हुए मांग की है कि राज्यों के बिजली उत्पादन गृहों द्वारा आयातित किए जाने वाले कोयले का मूल्य केंद्र सरकार को चुकाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने एक सितंबर को जारी आदेश में यह कहा है कि बिजली की बढ़ी हुई मांग को देखते हुए घरेलू कोयले से चलने वाले ताप बिजली घरों में कोयले की खपत और कोयले की आपूर्ति के बीच अगस्त में दो लाख टन प्रतिदिन का अंतर था। इसे देखते हुए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने निर्देश जारी किया है कि राज्य सरकार के, केंद्र सरकार के और निजी क्षेत्र के सभी ताप बिजली घर मार्च 2024 तक चार फीसदी कोयला आयातित करें जिससे घरेलू कोयले पर चलने वाले ताप बिजली घरों में कोयले की कमी को पूरा किया सके। 

फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने सोमवार को यहां जारी बयान में कहा है कि केंद्र सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में साफ शब्दों में लिखा गया है कि कोयला खदानों से ताप बिजली घरों तक कोयला पहुंचने में आ रही दिक्कत का मुख्य कारण रेलवे के पास समुचित संख्या में कोयला रेक्स की कमी है और रेलवे के लाजिस्टिक कांस्ट्रेंट के चलते समुचित कोयला ताप बिजली घरों तक नहीं पहुंच पा रहा है। आंकड़े देकर बताया गया है कि मार्च 2024 तक घरेलू कोयले से चलने वाले ताप बिजली घरों को 404 मेट्रिक टन कोयले की जरूरत होगी जबकि रेलवे के कंस्ट्रेंट के चलते तथा नेटवकर् की उपलब्धता और रेक्स की कमी के चलते 397 मिट्रिक टन कोयले की आपूर्ति ही की जा सकेगी। ऐसे में सभी ताप बिजली घरों कोयले का समुचित स्टाक बनाए रखने के लिए चार फीसद कोयला आयात करने के निर्देश दिए गए है।        

फेडरेशन ने कहा कि यदि रेलवे के कांस्ट्रेंट्स की वजह से ताप बिजली घरों तक कोयला नहीं पहुंच पा रहा है तो आयातित कोयला जो बंदरगाह से लाना पड़ेगा, उसको ताप बिजली घरों तक पहुंचाना तो और कठिन होगा। उनका कहना है कि केंद्र सरकार के विद्युत मंत्रालय के आदेश से बिल्कुल स्पष्ट है कि ताप बिजली घरों तक समुचित कोयला ना पहुंच पाने का कारण रेलवे के कांस्ट्रेंट्स हैं ऐसे में राज्य के ताप बिजली घरों पर आयातित कोयले का अतिरिक्त भार डालना कदापि उचित नहीं है। दुबे ने कहा कि ऐसी स्थिति में आयातित कोयले का मूल्य केंद्र सरकार द्वारा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार यह धनराशि नहीं देती है तो राज्यों के बिजली उत्पादन घरों द्वारा यह मूल्य डिस्काम से वसूला जाएगा और अंतत: इसका बोझ आम उपभोक्ता पर पड़ेगा। 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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