Mulayam Singh Yadav को केंद्र का ‘सम्मान’, क्या है BJP की सियासी चाल?

punjabkesari.in Friday, Jan 27, 2023 - 03:00 PM (IST)

लखनऊ(रानू मिश्रा): कहते हैं जिसका जलवा कायम है उसका नाम मुलायम है... समाजवाद की पताका फहराने वाले सपा नेता मुलायम सिंह यादव भले ही आज इस दुनिया में नो हों लेकिन उनका जलवा उनके न रहने के बाद भी कायम है... गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जिन 106 हस्तियों को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया उनमें यूपी के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का नाम भी शामिल है.. केंद्र सरकार ने समाजवादी के सर्वेसर्वा रहे स्व मुलायम सिंह य़ादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान देकर सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी है... संकेतों और सरोकारों की सियासत करने वाली बीजेपी ने यह सियासी दांव यूं ही नहीं चला है... राजनीतिक पंडित इसे मिशन 2024 के मद्देनजर मुलायम की विरासत को हासिल करने की हसरत के रूप में देख रहे हैं... ऐसे में सवाल ये है कि

क्या केंद्र ने मुलायम को मरणोपरांत पद्म विभूषण देकर उनकी सियासत जमीन को हासिल करने की ओर कदम बढ़ा दिया है?
क्या ‘नेताजी’ को सम्मान देने के पीछे बीजेपी का मिशन 2024 है?
PM मोदी ने क्या मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण देकर अखिलेश को फंसा दिया?

गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर जैसे ही केंद्र सरकार ने स्व मुलायम सिंह यादव को मरणोपरांत पद्म विभूषण देने का ऐलान किया... उसके तुरंत बाद इसको लेकर सियासत तेज हो गई... नेताजी की बड़ी बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने कहा कि जिस तरह से नेताजी का कद था.. उसको देखते हुए उन्हें पहले ही भारत रत्न मिल जाना चाहिए था सरकार से मेरा अनुरोध है कि नेताजी को भारत रत्न मिलना चाहिए।

बात नेताजी की हो रही थी तो भला ऐसे में मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा भी कहां चुप रहने वाली थी... बीजेपी नेता और मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू ने डिंपल यादव को जवाब देते हुए कहा कि नेताजी हमेशा कहते थे कि जो भी चीज सम्मान से मिले उसे स्वीकार करना चाहिए, जो मिल गया है, उसे खुशी से स्वीकार करें, ना कि उस पर सवाल उठाना चाहिए। वहीं अब ऐसे में नेताजी को लेकर सियासत कहां रुकने वाली थी.. सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने मरणोपरांत सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण सम्मान को अपमान बता दिया.. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव भारत रत्न के योग्य थे, लेकिन पद्म विभूषण देकर उनका मजाक बनाया. यह बीजेपी की घटिया सोच को दर्शाती है।

मुलायम सिंह को मरणोपरांत पद्म विभूषण देने के सियासी मायने क्या हैं?
प्रदेश की राजनीति में 15 साल का सूखा झेलने वाली भाजपा सबका साथ, सबका विश्वास के मूल मंत्र के साथ 2017 में सियासत में उतरी थी.. इसके साथ ही बीजेपी ने एक फार्मूला अपनाया था और वो था गैर यादव व गैर जाटव वोट बैंक.. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव और 2014 में हुए लोकसभा विधानसभा चुनावों के पहले भी मुलायम सिंह यादव मौका- बे मौका ये कहते हुए सुने गए कि भाजपा को जीतने से कोई रोक नहीं सकता.. लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव हो या 2022 का विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए यादव वोट कमोबेश अछूता ही रहा है।

हालांकि, कुछ महीनों पहले ही इस दुनिया से रुखसत हुए मुलायम सिंह यादव से बीजेपी के सीनियर नेताओं से तालमेल की तस्वीरें अक्सर देखने को मिलती थीं... फिर चाहे वह नेताजी के भतीजे तेज प्रताप सिंह की शादी में पीएम मोदी का इटावा जाना हो या मुलायम सिंह के निधन पर अमित शाह का उन्हें श्रद्धाजंलि देना या योगी कैबिनेट के मंत्रियों का उनके अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में शामिल होना या फिर 2017 में सीएम योगी के शपथ समारोह में पीएम मोदी और मुलायम सिंह यादव की नजदीकियां हों.. बीजेपी ने हमेशा परंपरा से हटकर संदेश देने की कोशिश की है कि नेताजी मुलायम सिंह यादव उनके लिए श्रद्धेय थे।

हालांकि, ये कोई पहला मौका नहीं है जब केंद्र सरकार ने मुलायम सिंह यादव को सम्मान देकर सुर्खियां बटोरी हों इससे पहले भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल से आने वाले देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित कर सियासी गलियारों में चर्चा बढ़ा दी थी।

Content Editor

Anil Kapoor