विधानसभा चुनाव लड़े बिना प्रदेश में बन रहे हैं सीएम व मंत्री

punjabkesari.in Thursday, Nov 23, 2017 - 02:42 PM (IST)

लखनऊ: यूपी में सीएम का पद बिना चुनाव लड़े ही पाया जा सकता है। पिछले एक दशक से यूपी का कोई भी सीएम जनता द्वारा नहीं चुना गया है। इसकी शुरूआत 2007 में मायावती ने की थी। तब से लेकर वर्तमान सरकारों के मुखिया विधायक नहीं बल्कि एमएलसी बन कर ही इस पद पर आसीन हुए हैं। मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं।

मायावती
पिछले एक दशक से यूपी को कोई भी मुख्यएमंत्री चुनकर विधानसभा नहीं पहुंचा है। इसकी शुरुआत मायावती ने की थी। साल 2007 में बहुजन समाज पार्टी को असेंबली इलेक्शन में सबसे ज्यादा वोट बसपा को मिले थे। ऐसे में बसपा सुप्रीमो मायावती का मुख्यमंत्री बनना तय था। मायावती ने भी उस वक्त चुनाव नहीं लड़ा था। तब उन्होंने विधानपरिषद के जरिए एमएलसी बनकर सदन का रास्ता तय किया। जिसके बाद से ही यह रीति बन गई है। वैसे भी विधायक से अधिक एमएलसी बनना काफी आसान है।

अखिलेश यादव
साल 2012 में समाजवादी पार्टी की ओर चुनाव प्रचार की कमान अखिलेश यादव ने संभाली थी। प्रदेश की जनता को अखिलेश यादव के रूप में एक युवा चेहरा दिखा। जो साईकिल पर घूम कर लोगों को अपनी पार्टी के मुद्दों से रूबरू करा रहा था। पहली बार एक युवक सूबे के लोगों के बीच ऐसे आया था, तो जनता ने भी अपना विश्वास दिखाया और जिसका नतीजा रहा कि सपा को सबसे ज्यादा वोट मिले। बहुमत मिलने के बाद यह तय था कि अखिलेश या मुलायम में से ही कोई एक मुख्यमंत्री बनेगा। पार्टी ने सर्वसम्मति से अखिलेश का नाम बढ़ाया और सीएम की कुर्सी पर बिठा दिया। यहां भी वहीं पेंच था, क्योंकि अखिलेश भी उस समय सांसद ही थे। उन्होंने भी कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। ऐसे में अखिलेश ने भी मायावती की तरह ही विधान परिषद के जरिए सदन का रास्ता चुना।

योगी आदित्यनाथ
इस कड़ी में ताजा उदाहरण योगी आदित्यनाथ हैं। वर्तमान में सीएम के साथ उनके चार मंत्री भी ऐसे हैं जिन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा और उच्चद पदों पर बैठ गए। योगी आदित्यनाथ के अलावा ये चारों न तो विधायक थे और न ही एमएलसी। ऐसे में उन्हें मंत्री पद पर बने रहने के लिए 6 महीने के अंदर सूबे के किसी एक सदन का सदस्य होना लाजमी था। इन मंत्रियों का 19 सितंबर को 6 महीने पूरे हो रहे हैं, इस डेट लाइन से पहले इन्हें सदन का सदस्य बनना था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, वक्फ राज्यमंत्री मोहसिन रजा विधानपरिषद के सदस्य निर्वाचित हो गए हैं। भाजपा ने जब 2017 में विधानसभा चुनाव जीता उस वक्त किसी को नहीं पता था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा। योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद रहे हैं, हालांकि उन्होंने कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। ऐसे में जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे तो उन्हें किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी था।