CM योगी ने मुंशी प्रेमचंद को दी श्रद्धांजलि, कहा- प्रेमचंद का रचना संसार मानव जाति के लिये अमूल्य निधि है

punjabkesari.in Sunday, Jul 31, 2022 - 05:56 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिंदी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर रविवार को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका रचना संसार मनुष्य जगत के लिये अमूल्य निधि है। योगी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘विश्व साहित्य जगत के देदीप्यमान नक्षत्र, यथार्थ व भावनाओं को शब्दाकार प्रदान कर उन्हें कालजयी रचना बनाने वाले उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को उनकी जयंती पर विनम्र श्रद्धांजलि। आपका ‘रचना संसार' सशक्त और समतामूलक समाज के निर्माण हेतु मनुष्य जगत के लिए अमूल्य निधि है।

गौरतलब है कि प्रख्यात साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के समीप लमहीं गांव में हुआ था। वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाज सुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखंड को 'प्रेमचंद युग' या 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है।


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Content Writer

Ramkesh

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