CM योगी बोले- केवल पुस्तकीय ज्ञान ही ज्ञान नहीं है, हमें संस्कृतियों को गहनता से जानना होगा

punjabkesari.in Friday, Sep 24, 2021 - 02:20 PM (IST)

गोरखपुर: मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ आज ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 52वीं और महंत अवेद्यनाथ की 7वीं पुण्यतिथि के मौके पर गोरखपुर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित होने वाली श्रद्धांजलि में लोगों को सबोधित किया। उन्होंने इस दौरान मैं पिछले 25,30 वर्षों से गोरक्षपीठ से जुड़ा हूं, और मुझे उसका नेतृत्व करने का सौभाग्य मिला है। जिसे गुरू की अज्ञा से आगे बढ़ाने का काम कर रहूं। उन्होंने कहा कि आज से 50 वर्ष पहले ब्रह्मलीन महंत पूज्य दिग्विजयनाथ जी ने एक आधार रखा,और पूज्य गुरुजी ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी ने उसे आगे बढ़ाया है। सीएम ने कहा कि प्रधान मंत्री मोदी के नेत्तुव में राज्य में सेवा का मौका मिला है हम उसे उकने मार्ग दर्शन में आगे बढ़ा रहे है। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि इसके पहले की सरकारे न तो गोरखपुर की तरफ ध्यान देती थी न ही अयोध्या का, आज दो क्षेत्र की अलग पहचान बन चुकी है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की अगुवाई में को देश वैश्विक स्तर पर अलग से पहचान मिली है। योगी नाथ सम्प्रदाय, और गोरक्षपीठ में पहले से ही चल रहा है परंतु भारत की पहचान योग गुरु के रूप में हो रही है।  उन्होंने कहा कि हमने अपने शास्त्रों के मर्म को समझने का प्रयास ही नहीं किया। हमे अपने गुरुजनों,राष्ट्रनायकों के प्रति श्रद्धा का भाव ही हमे आगे बढ़ाता है। इसे व्यावहारिक धरातल पर उतारना भी होगा तभी हम सफल होंगे। उन्होंने कहा कि केवल पुस्तकीय ज्ञान ही ज्ञान नही है। आचार विचार में समन्वय नहीं होगा, इसके लिए ऋषि,मुनियों,संस्कृतियों को गहनता से जानना होगा।

सीएम ने कहा कि 1947 में  देश आज़ाद हुआ उस समय अयोध्या में कुछ गिने चुने लोग मंदिर अन्दोलन से जुड़े रहे। परंतु इसके पीछे पीछे ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी का ही सहयोग हुआ तो हजारों लोग इसके पीछे जुड़ते गए। उसके बाद परमहंस जी ने अध्योंया को लेकर एक लम्बी लड़ई लड़ी जिसका नतीजा आज सब के सामने है। उन्होंने कहा कि 2017 में जब पहली बार सभी संतों के साथ दीपोत्सव मनाया तो सभी संतों के चेहरे खिल उठे। आज पूरी दुनिया अयोध्या के दी दीपोत्सव देखकर गुणगान कर रही है। 

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Ramkesh