गोमती रिवर फ्रंट निरीक्षण के बाद CM योगी ने अधिकारियों की लगाई क्लास
punjabkesari.in Monday, Mar 27, 2017 - 02:50 PM (IST)
लखनऊ:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी आज सुबह गोमती रिवर फ्रंट पहुंचे। यहां पर उन्होंने रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ कई मंत्री और अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होंने रिवर फ्रंट से जुड़े हुए इंजीनियर और अधिकारियों से परियोजना के बारे में जाना। स्वाति सिंह, रीता बहुगुणा जोशी और ब्रजेश पाठक भी योगी आदित्यनाथ के साथ गोमती रिवर फ्रंट पहुंचे थे।
Lucknow: UP CM Yogi Adityanath visits Gomti Riverfront pic.twitter.com/obXnmMoZDy
— ANI UP (@ANINewsUP) March 27, 2017
जानकारी के अनुसार योगी आदित्यनाथ परियोजना की प्रगति पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि लगभग 2 वर्ष पूर्व शुरू की गई इस परियोजना पर अभी तक 60 फीसदी से भी कम काम हो पाया है, जबकि परियोजना को मई 2017 में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। करीब 1500 करोड़ रुपए लागत की इस परियोजना के सापेक्ष 1433 करोड़ रुपए कार्यदाई संस्था को मिल चुके हैं। जिसके सापेक्ष करीब 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो चुके हैं। अब विभाग द्वारा इस परियोजना को पूरा करने के लिए लगभग 1500 करोड़ रुपए अतिरिक्त उपलब्ध कराने की मांग की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने परियोजना की प्रगति एवं इसकी उपादेयता के प्रति असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसी परियोजनाओं का वास्तविक उद्देश्य नदी के पानी को स्वच्छ करना एवं नगर के उन गन्दे नालों को बन्द करना होना चाहिए था, जो गोमती नदी में गिर रहे हैं। उन्होंने गोमती नदी को गंगा की सहायक नदी बताते हुए कहा कि इस परियोजना को ‘नमामी गंगे’ परियोजना से जोड़कर नदी में गिरने वाले सभी गन्दे पानी के नालों को बन्द करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए था, जिससे नदी की अविरलता बनाए रखने एवं पानी को शुद्ध करने में मदद मिलती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
उन्होंने निर्देशित किया कि सबसे पहले गन्दे नालोें को नदी में गिरने से रोकने के लिए निर्माणाधीन सेप्टिक ड्रेन का काम मई 2017 तक पूरा कराया जाए। इसके साथ ही दोनों तरफ बन रहे डाइफ्राम वाॅल को कलाकोठी तक बढ़ाया जाए। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देशित किया कि इस परियोजना से सम्बन्धित प्रमुख सचिव अपने स्तर पर एक सप्ताह में समीक्षा करते हुए इस पर आने वाले वास्तविक व्यय के सम्बन्ध में अपना अभिमत प्रस्तुत करें। इसी प्रकार अन्य विभागों के प्रमुख सचिव भी अपने-अपने विभागों से सम्बन्धित विभिन्न संचालित परियोजनाओं की एक सप्ताह में समीक्षा करके अनावश्यक व्यय को तत्काल रोकने का काम करें। साथ ही यह भी सुनिश्चित करें की परियोजना को निर्धारित समय में गुणवत्ता के साथ पूरा किया जाए, ताकि जनता को इनका लाभ मिल सके।