देव दीपावली तक काशी में चलेंगी CNG आधारित बोट

punjabkesari.in Tuesday, Nov 09, 2021 - 01:22 PM (IST)

वाराणसी: देश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर विश्वविख्यात वाराणसी में 19 नवम्बर को देव दीपावली के अवसर पर सीएनजी आधारित बोट का संचालन गंगा नदी में जल परिवहन का प्रदूषण रहित उत्तम कारक बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र में पिछली देव दीपावली पर जब क्रूज़ से गंगा की सैर की थी तभी उन्होंने डीजल से चलने वाली बोट के ज़हरीले धुएं और शोर से गंगा को मुक्ति दिलाने के लिए तय कर लिया था, जिसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अमली जामा पहना दिया है।       

आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि वाराणसी में गंगा में चलने वाली करीब 500 मोटर बोट को 19 नवंबर देव दीपावली तक सीएनजी से चलाने का लक्ष्य है। आने वाले समय में गंगा में शत प्रतिशत बोट सीएनजी से चलाने की योजना है। मोक्षदायिनी गंगा दुनिया की पहली नदी होगी, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी आधारित बोट चलेंगी।  धर्म नगरी काशी में आने वाले पर्यटक गंगा में बोटिंग करके अर्धचंद्राकार घाटों के किनारे सदियों से खड़ी इमारतों, मंदिर-मठों को देखते हैं। अब यहाँ आने वाले पर्यटकों को गंगा में बोटिंग करते समय जहरीले धुएं और बोट की तेज आवाज से मुक्ति मिलने वाली है। सभी डीजल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित करने का लक्ष्य है । 

वाराणसी दुनिया का पहला शहर होगा, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नावों का संचालन होगा। गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है। इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी। स्मार्ट सिटी के महाप्रबंधक डी वसुदेवम ने बताया कि गंगा में क़रीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं। इनमे से करीब 500 बोट डीजल इंजन से चलने वाली है। लगभग 177 बोट में सीएनजी इंजन लग चुका है। बचे हुए मोटर बोट को देव दीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है। ये काम गेल इंडिया कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत करा रही है। करीब 29 करोड़ के बजट से 1700 छोटी और बड़ी नाव में 

सीएनजी इंजन लगया जा रहा है। इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव और बज़रा पर लगभग 2.5 लाख का ख़र्च है ।        नाविकों के नाव में सीएनजी किट मुफ़्त लगाया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीजल इंजन वापस ले लिया जाएगा। घाट पर ही डाटर स्टेशन हैं। जेटी पर डिस्पेंसर भी लग गया है। नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दुगनी दूरी तय कर रहे हैं। धुआँ और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों को भी अच्छा लग रहा है।       

सीएनजी आधारित इंजन डीजल और पेट्रोल इंजन के मुकाबले 7 से 11 प्रतिशत ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है, वहीं सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है। डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है। डीजल इंजन की तेज आवाज़ से कंपन होता है, जिससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर बुरा असर पड़ता है और इको सिस्टम भी खराब होता है। इसके साथ ही घाट के किनारे हज़ारों सालों से खड़े ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा था। डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है अत: इससे चालित नौकाओं से आपदाओं की आशंका कम होगी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Umakant yadav

Recommended News

Related News

static