एक लाख आबादी वाले शहरों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति कानून: केंद्र की नई अधिसूचना पर उपभोक्ता परिषद ने उठाए सवाल

punjabkesari.in Saturday, Apr 23, 2022 - 09:55 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा एक अधिसूचना जारी कर एक लाख या उससे ज्यादा की आबादी वाले शहरों को 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने संबंधी आदेश के अनुपालन के सिलसिले में प्रदेश के हालात को लेकर सवाल उठाए हैं। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने शनिवार को बताया कि ऊर्जा मंत्रालय ने 20 अप्रैल को विद्युत उपभोक्ता अधिकार अधिनियम 2020 में संशोधन करते हुए पूरे देश में उपभोक्ता औसत विद्युत व्यवधान आवर्ती सूचकांक बनाने की नई अधिसूचना जारी की है। इसमें कहा गया है कि महानगरों समेत जिन शहरों की जनसंख्या एक लाख या उससे अधिक है, वहां पर प्रदूषण स्तर में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए 24 घंटे विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि बिजली कटौती के कारण डीजल जनरेटर ना चलाए जाएं।

वर्मा के मुताबिक, अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि तीन मिनट या उससे अधिक विद्युत ट्रिपिंग को व्यवधान के रूप में माना जाएगा। उन्होंने बताया कि बिजली मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, व्यवस्था को सुचारू रूप से लागू करने की जिम्मेदारी राज्यों के विद्युत नियामक आयोग को दी गई है, जो इससे संबंधित नियम-कायदे बनाएंगे। वर्मा ने कहा कि केंद्र द्वारा बनाई गई इस नयी व्यवस्था से निश्चित ही बिजली कंपनियों पर बड़ा भार आएगा, क्योंकि उत्तर प्रदेश में ज्यादातर शहर ऐसे हैं, जिनकी आबादी एक लाख या उससे अधिक है। ऐसे में इन सभी में 24 घंटे बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करते हुए नो ट्रिपिंग जोन बनाना होगा, जो बिजली कंपनियों की मौजूदा स्थिति के मद्देनजर बहुत मुश्किल काम नजर आता है।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष के मुताबिक, नयी अधिसूचना के तहत बिजली आपूर्ति करने के लिए विद्युत उत्पादन और पारेषण तंत्र में आमूल-चूल बदलाव करना होगा, जिस पर बहुत भारी निवेश की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की बिजली कंपनियां पहले से ही लगभग एक लाख करोड़ रुपये के घाटे में चल रही हैं, ऐसे में उनके लिए निर्दिष्ट शहरों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति करना टेढ़ी खीर साबित होगा। वर्मा के अनुसार, चढ़ती गर्मी के साथ बढ़ती मांग के कारण प्रदेश में शहरों से लेकर गांव तक कई-कई घंटे बिजली कटौती की जा रही है, जबकि नयी अधिसूचना में तीन मिनट की ट्रिपिंग को भी एक व्यवधान के तौर पर देखे जाने का प्रावधान किया गया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में मौजूदा हालात में इस अधिसूचना का पूरी तरह पालन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अधिसूचना में यह भी प्रावधान किया गया है कि पांच साल के अंदर डीजल आधारित जनरेटर को हटाने की दिशा में उपभोक्ता को कदम उठाना है और उन्हें रिन्यूबिल बैटरी बैकअप पर जाना होगा। व

र्मा के मुताबिक, यह एक मुश्किल काम है और इसे सरल किए जाने की दिशा में और स्पष्टता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर देश में प्रदूषण की रोकथाम के लिए जो भी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, उन पर सभी को अमल करना होगा, लेकिन सभी व्यवहारिक पक्षों को शामिल करते हुए उपभोक्ता के हित में नियम बनाने की भी जरूरत होगी।

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Mamta Yadav