सपा कार्यालय से हटाए गए शुद्र व रामचरितमानस को प्रतिबंधित करने वाले पोस्टर, अखिलेश के निर्देश पर कार्रवाई

punjabkesari.in Sunday, Feb 19, 2023 - 01:28 PM (IST)

लखनऊ (अश्वनी कुमार सिंह) : समाजवादी पार्टी के नेता व विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरितमानस को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद उनकी बातों का समर्थन करते हुए जब सपा प्रमुख ने खुद को शुद्र बताया तो उनके समर्थकों ने पार्टी कार्यालय के बाहर खुद को शुद्र बताते हुए कई रामचरित मानस के कई पंक्तियों को हटाने के लिए पार्टी कार्यालय के बाहर पोस्टर लगवाना शुरु कर दिया। जिसके बाद अब रविवार को पार्टी प्रमुख के आदेश के बाद कार्यालय के बाहर से सारे पोस्टर हटा लिए गए है।  

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पार्टी कार्यालय के बाहर लग रहे थे पोस्टर
स्वामी प्रसाद मौर्य के समर्थन में कार्यकर्ताओं व नेताओं के द्वारा लगातार पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बाहर लगातार पोस्टर लगाए जा रहे थे। जिसमें वह तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के चौपाईयों को रामचरितमानस से निकालने व पूरी की पूरी रामचरितमानस को प्रतिबंधित करने के पोस्टरों को पार्टी मुख्यालय से पूरी तरह हटा दिया गया है। उनकी जगह पर अब होली की बधाईयां देते हुए पोस्टर लगाए गए है। बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के बाद से ही प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा हो गई थी। एक तरफ जहां सपा ने जहां रामचरितमानस के चौपाईयों को पिछड़ों, दलितों, महिलाओं का अपमान करने वाला बताया तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र व राज्य की सत्ता पर काबीज भारतीय जनता पार्टी ने इसे हिंदू आस्था पर हमला बताया था।

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पार्टी प्रमुख के निर्देश के बाद कार्रवाई
सूत्रों के मुताबिक पार्टी के बाहर खुद को शूद्र बताते हुए लगे पोस्टरों को सपा प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश के बाद से हटा दिया गया है। सपा आगामी चुनाव में प्रदेश में कानून व्यवस्था, बेरोजगारी, महंगाई और अफसरों के मनमाने तरीके से काम करने को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। जानकारों के मुताबिक अब सपा स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान से खुद को दूर करती दिख रही है। इसका उदाहरण हाल ही में उस वक्त देखने को मिला जब इटावा में रामगोपाल यादव और सीतापुर में शिवपाल सिंह यादव से पत्रकारों ने जब स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर सवाल किया तो पार्टी के दोनों नेता ने इस पर कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया। वहीं सपा प्रमुख भी अब अपने जातिगत जनगणना की मांग को तेज करते नजर आ रहे है।   


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Content Editor

Prashant Tiwari

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