जौनपुर जेल में भ्रष्टाचार: 100 रूपये किलो आलू तो 150 में मिल रहा है प्याज, आवाज उठाओ तो होती है पिटाई

punjabkesari.in Monday, Jun 07, 2021 - 12:33 PM (IST)

जौनपुर: उत्तर प्रदेश में जौनपुर के जिला जेल में 4 जून को हुए बवाल का मामला अभी शांत भी नही हुआ था इसी बीच सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही एक वीडियों ने जेल की कलई खोल दी है। इस वीडियों में जेल में बंद एक कैदी बता रहा है कि जेल की कैंटिन में खुला लूटपाट चल रहा है। सौ रूपये किलो आलू तो डेढ़ सौ रूपये में प्याज बेचा जा रहा है। पनीर पांच सौ रूपये मिलता है। इतना मंहगा समान तो होई प्रोफाइल शापिंग मार्केट में नही बिकता है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार पिछले शुक्रवार को जेल में बंद एक सजा याफ्ता कैदी बागेश मिश्रा की दिल का दौरा पड़ने के कारण मौत हो गयी थी। मौत से गुस्साए अन्य कैदियों ने जेल पर कब्जा करने के बाद अस्पताल को आग के हवाले कर दिया। एक बंदी रक्षक की पिटाई कर उसका पैर तोड़ दिया। करीब छह घंटे तक जेल में पत्थरा आगजनी होती रही, स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस आंसू गैस के गोले दागती रही है। कमिश्नर और आइजी वाराणसी ने जेल पहुंचकर किसी तरह से कैदियों को समझा बुझाकर स्थिति को सामान्य किया। पूरे मामले की जांच सात सदस्यीय टीम कर रही है। लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष सामने नही आया है, लेकिन जेल में अंधेरगर्दी का खुलासा एक-एक कर होने लगा है। जांच के लिए पहुंचे अफसरों के सामने बंदी जेल प्रशासन की कलई खोल रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया में उपद्रव के दिन का एक वीडियो भी वायरल हुआ है। इसमें जेल के अंदर से एक बंदी चीख-चीख कर जेल में भ्रष्टाचार की जानकारी दे रहा है।

बंदी की बातों पर गौर करें तो जेल मैनुअल की धज्जियां उड़ाते हुए यहां वह सब कुछ हो रहा है, जिस पर शासन की सख्त मनाही है। इस बंदी के मुताबिक जेल की कैंटीन लूट का अड्डा है। यहां से बंदियों को सौ से डेढ़ सौ रुपये किलो आलू और प्याज मिलता है। कोहड़ा-लौकी भी 130 रुपये किलो है। 20 किलो दाल में एक हजार से अधिक बंदियों-कैदियों को खाना परोसा जाता है। दाल इतनी पतली होती है कि उसमें सिफर् पानी और हल्दी ही नजर आता है। बंदी का कहना था कि अगर कोई इसका विरोध करता है तो उसकी बर्बरता पूर्वक पिटाई की जाती है। ऐसे ही एक बंदी आनंद को पीटकर मरणासन्न कर दिया गया है। बंदी का कहना है कि जेल के अस्पताल से कोई दवा-उपचार नहीं होता। तबीयत बिगड़ती रहती है, लेकिन जिम्मेदार बस टालते रहते हैं। बाद में बंदी की मौत होने पर उसे रेफर कर यह कहा जाता है कि रास्ते में मौत हुई। बागेश मिश्रा की मौत भी ऐसे ही हुई है। जेल निरीक्षण में आने वाले अफसरों से शिकायत करते हैं तो वह भी बस सुनकर चले जाते हैं। कोई कुछ नहीं करता। इसलिए मजबूरन बंदी-कैदी आक्रोशित हो गए हैं, ताकि उनकी बात को सुनने के लिए आला अधिकारी यहां आएं। इस पूरे मामले में जौनपुर जिला जेल के अधीक्षक एसके पांडेय ने कहा कि जेल मैनुअल के अंतर्गत ही बंदियों को सुविधाएं दी जाती हैं। जिन बंदियों की मनमानी नहीं चल पाती, वही झूठे आरोप लगाते हैं। वायरल वीडियो के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जांच कर ही इस बारे में कुछ कहा जा सकता है।

 


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Content Writer

Umakant yadav

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