बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: अदालत ने आडवाणी समेत 32 आरोपी के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिका की खारिज
punjabkesari.in Wednesday, Nov 09, 2022 - 07:55 PM (IST)

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत 32 आरोपियों को बरी करने के फैसले को चुनौती देने संबंधी याचिका बुधवार को खारिज कर दी और कहा कि यह सुनवाई योग्य नहीं है। न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति सरोज यादव की लखनऊ पीठ ने अयोध्या के दो निवासियों हाजी महमूद अहमद और सैयद अखलाक अहमद की अपील पर यह आदेश पारित किया।
बता दें कि मामले के 32 आरोपियों में आडवाणी के अलावा प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा और बृज भूषण शरण सिंह शामिल थे, जिन्हें बरी किये जाने को चुनौती दी गयी थी। दोनों ने याचिका में दलील दी कि वे विवादित ढांचा ढहाए जाने के मामले में आरोपियों के खिलाफ गवाह थे और ‘‘पीड़ित '' भी थे। अपनी आपत्ति में, राज्य सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कहा था कि दोनों अपीलकर्ता मामले में न तो शिकायतकर्ता थे और न ही पीड़ित थे, इसलिए वे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील नहीं कर सकते हैं। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने 31 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब कि ‘कारसेवकों' ने छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहा दी थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 30 सितंबर 2020 को विशेष सीबीआई अदालत ने आपराधिक मुकदमे में फैसला सुनाया था और मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। न्यायाधीश ने यह भी माना था कि सीबीआई इस बात का कोई सबूत पेश नहीं कर सकी कि आरोपियों और ढांचा गिराने वाले कारसेवकों के बीच किसी प्रकार की मिलीभगत थी। आरोपियों को बरी किये जाने संबंधी निचली अदालत के फैसले की आलोचना करते हुये अपीलकर्ताओं ने दलील दी थी कि निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी करार नहीं देकर ‘गलती' की है, जबकि पर्याप्त साक्ष्य रिकॉर्ड में थे। याचिका में अपीलकर्ताओं ने 30 सितंबर, 2020 के फैसले को रद्द करने का अनुरोध किया था।