लखनऊ में गंदगी एवं कूड़े को लेकर न्यायालय का कड़ा रुख

punjabkesari.in Tuesday, May 21, 2019 - 01:18 PM (IST)

लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने शहर की साफ-सफाई एवं कूड़ा मुक्त किए जाने के मामले में नगर निगम सहित लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ,आवास विकास परिषद और अन्य संबंधित विभागों के आला अफसरों के द्वारा पेश रिपोर्ट पर अंसतोष जताते हुए फिर से कड़ा रुख अपनाया है। न्यायालय ने कहा कि सभी विभागों के अफसर फिर से स्पष्ट करे कि कितने ठेकेदार,एनजीओ और कर्मचारियों को सफाई का काम दिया गया। अदालत ने कहा कि आम जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग मिलने पर बहुत सख्त कदम उठाया जाएगा। इसी के बावत न्यायालय ने सभी विभागों से फिर से विस्तृत हलफनामें मांगे है।  

न्यायमूर्ति मुनीस्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति सौरभ लावानिया की पीठ ने नगर निगम की ओर से दायर याचिका पर स्वयमेव संज्ञान लेकर दर्ज याचिका पर सोमवार को यह आदेश दिए। अदालत ने एक अन्य याचिका को भी साथ में सूचीबद्ध किया है। याची की ओर से आरोप लगाए गए कि लखनऊ शहर में जगह-जगह कूड़ा इक्टठा करने से आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। शहर में धड्डल्ले से पॉलीथीन का प्रयोग हो रहा है। पॉलीथीन के रोकने का शासनादेश ठंडे बस्ते में चला गया है। पॉलीथीन कूड़ा कचरा बढ़ा रही है।

नालो एवं नालियों में सफाई नहीं की जा रही है। नालो से निकला कचरा सड़को पर ढेर लगा है। छुट्टा जानवर सड़को पर है। पूरे शहर में अतिक्रमण से जाम की स्थिति है।  अदालत में सुनवाई के समय नगर आयुक्त एवं अन्य अधिकारियों की के रिपोर्ट पर संतुष्टि जाहिर नहीं की। अदालत ने कहा कि लखनऊ में कोई सफाई नहीं है जगह-जगह कूड़ा सड़को पर बिखरा पड़ा है तथा ढ़ेर लगे हैं। अदालत ने कहा कि ऐसा लगता है कि महज कुछ लोगों और ठेकेदारो को लाभ देने के लिए केवल कागजों पर कारर्वाई दिखाई जा रही है। न्यायालय ने सख्त लहजे में कहा कि बजट का उपयोग आम जनता के लिए होना चाहिए। कहा कि महज ठेकेदारो को लाभ देने के लिए इसका उपयोग न किया जाए।

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