चंबल का ‘रॉबिनहुड’ ददुआ! अब ‘फिल्म’ में सुनाई देगी गोलियों की गूंज

punjabkesari.in Wednesday, Sep 21, 2016 - 06:47 PM (IST)

झांसी: बुंदेलखंड में तीन दशक तक आतंक का पर्याय रहे ददुआ अब शीध्र ही रूपहले पर्दे पर बन्दूक की गोली तड़तड़ाता नजर आयेगा। बुंदेलखंड इलाके में कभी लोग ददुआ के नाम पर थर्राते थे। बीहड़ में दहशत फैलाने वाले ददुआ के अंत की एक दिलचस्प कहानी रही है। उसकी इस कहानी पर फिल्म बनने जा रही है। फिल्म के निर्माता-निर्देशक रईस खान हैं। फिल्म का नाम ‘द गॉड ऑफ गन’ है। इसकी शूटिंग नवंबर से शुरू होगी। फिल्म के कलाकारों के लिए ऑडिशन लेने झांसी पहुंचे रईस ने बताया कि फिल्म को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले रिलीज किया जाएगा। ददुआ के सिर पर किन-किन नेताओं का हाथ रहा और कैसे उसका एनकाउंटर हुआ, इस सब को बेहतरीन ढंग से फिल्माने की कोशिश की जायेगी। फिल्म में ददुआ के राजनीतिक संबंधों के बारे में भी दिखाया जाएगा। 

फिल्म की शुरूआत एक साधारण व्यक्ति की हत्या के बाद बदला लेने से होती है। रईस कहते हैं, फिल्म बनाने के लिए 2008 से 2010 तक ददुआ से जुड़ी बहुत सारी जानकारियां जुटाई गईं। रिसर्च में खास फोकस इस पर है कि कैसे सरकार ने ददुआ के गिरोह को मार गिराने में 100 करोड़ रुपए खर्च कर दिए। जुलाई 2007 में पुलिस ने किस तरह मुठभेड़ में उसे मार गिराया। रईस ने बताया कि फिल्म के लिए रघुबीर यादव, शाहबाज खान, मनोज जोशी, ओमकार दास मानिकपुरी, यशपाल शर्मा तथा दीपराज राणा का चयन हो चुका है। चम्बल के डकैतों पर आधारित कई फिल्में पहले भी बन चुकी हैं। डकैतों पर बनी फिल्म ‘पान सिंह तोमर’ ने लोगों को काफी आकर्षित किया, लेकिन बुंदेलखण्ड के डकैत फिल्मी दुनिया से अछूते रहे हैं। 

यह पहली बार नहीं है जब किसी दस्यु सरगना पर आधारित फिल्म बनाए जाने की चर्चा हुई हो। इसके पहले इसी जिले के राजापुर थाना क्षेत्र के जमौली गांव में एक मामूली रायफल के दम पर 52 घंटे तक पुलिस से मुठभेड़ करने वाले दस्यु घनश्याम केवट उर्फ नान केवट पर भी फिल्म बनाने की बात उठी थी। कई फिल्म निर्देशक-निर्माता जामौली पहुंचे और मुठभेड़ स्थल की बारीकियां भी समझीं, लेकिन फिल्म नहीं बनी। स्थानीय लोगों के अनुसार ददुआ के डकैत बनने की कहानी पान सिंह तोमर से मिलती-जुलती है। सत्तर के दशक में रैपुरा थाना के देवकली में एक दबंग के घर हुई मामूली चोरी के मामले में शिवकुमार पुलिस की डर से छिपकर घूमता रहा। दबंग ने पुलिस से मिलीभगत कर उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया और उसके पूरे परिवार को गांव से निकाल दिया। इस घटना की वजह से वह समाज से इस कदर कटा कि सीधा-साधा शिवकुमार एक दिन खूंखार डकैत ‘ददुआ’ के रूप में उभरा और तीन दशक तक पाठा के जंगलों से समानान्तर सरकार चलाई। बुंदेलखण्ड के पाठा में आतंक का प्रर्याय रहे दस्यु सरगना ददुआ के जीवन पर फिल्म बनाने संबंधी पोस्टर चस्पा हो जाने से इलाके में तरह तरह की चर्चा जोरों पर है।  

गरीबों का रॉबिनहुड 
जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर धाता के नरसिंहपुर कबरहा गांव में दस्यु सरगना ददुआ और उसकी पत्नी की मूर्ति मंदिर में लग गई है। खूंखार दस्यु चंबल में गरीबों के लिए किसी रॉबिनहुड से कम नहीं था। यूपी और एमपी का वह ईनामी डकैत जरूर था पर असलियत में उसके चाहने वालों की कमी नहीं थी। बीहड़ में आज भी कई लोग उसे गरीबों का मसीहा बताते हैं। उनका कहना है कि ददुआ ने हमेशा सामंतो और साहूकारों से गरोंबों का हक दिलाया।