मुरादाबाद के नक्काशीदार बर्तनों की बढ़ी मांग, PM मोदी ने जर्मन चांसलर को दिया था गिफ्ट

punjabkesari.in Sunday, Feb 19, 2023 - 03:21 PM (IST)

मुरादाबाद : पीतल के बर्तनों पर नक्काशी का काम शिल्प गुरु पद्मश्री दिलशाद हुसैन दशकों से करते आ रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले वर्ष जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज को नक्काशीदार कलश उपहार में देने के बाद उनके बर्तनों की मांग और लोकप्रियता बढ़ी है। नक्काशी के उस्‍ताद 75 वर्षीय दिलशाद हुसैन ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा जर्मन चांसलर को पेश करने के लिए चुने जाने के बाद से उनके बनाए नक्काशीदार कलश की लोकप्रियता में कई गुना इजाफा हुआ है और अब मुझे इसके लिए अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं।

बर्तनों के मांग में जोरदार उछाल
पिछले साल जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर को मुरादाबाद का हाथ से उकेरा हुआ पीतल का कलश उपहार में दिया था। मुरादाबाद को पीतल नगरी या उत्तर प्रदेश के पीतल शहर के रूप में भी जाना जाता है। हुसैन को हाल में उनके काम के लिए देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया। हुसैन ने कहा कि उन्होंने अपने दादा के मार्गदर्शन में यह शिल्प सीखा और छह साल पहले तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से उन्हें शिल्प गुरु पुरस्कार भी मिला था। शिल्प गुरु ने कहा कि उन्हें हाल में मुंबई से एक ऑर्डर मिला है और उन्होंने 18,000 रुपये प्रति पीस की दर से आपूर्ति की है। उन्होंने कहा कि दूसरे शहरों से भी ऑर्डर आ रहे हैं।

CM योगी ने कई बार की है काम की प्रशंसा
अपने शिल्प के पीछे की तकनीक को साझा करते हुए हुसैन ने कहा कि डिजाइन को पहले एक कागज पर स्केच किया जाता है। फिर पूरे डिजाइन की रूपरेखा को लकड़ी के ब्लॉक की मदद से बर्तन पर उकेरा जाता है। उन्होंने कहा कि इस विशेष प्रकार की नक्काशी को मरोड़ी कला कहा जाता है। हुसैन ने अपने शिल्प को लोकप्रिय बनाने में मदद करने के लिए उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन एंड रिसर्च (यूपीआईडीआर) की अध्यक्ष क्षिप्रा शुक्ला की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि मुझे अपने धर्म के कारण कभी भी भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार मेरे काम की प्रशंसा की है।

अगली पीढ़ी को सिखा रहे कला
नक्काशी के उस्ताद दिलशाद हुसैन ने बताया कि वह युवाओं को प्रशिक्षण दे रहे हैं, जिनमें कई महिलाएं हैं। क्षिप्रा शुक्‍ला ने कहा कि वह जाति, धर्म या लिंग पर विचार किए बिना राज्य भर में जमीनी स्तर पर कारीगरों और शिल्पकारों को सहायता प्रदान कर रही हैं। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विभाग के तहत लखनऊ स्थित संस्थान विभिन्न शहरों में कारीगरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता रहा है। शुक्ला ने कहा इसका उद्देश्य कारीगरों और शिल्पकारों को अपने उत्पादों को बेहतर बनाने में मदद करना है ताकि वे खरीदारों से अच्छे पैसे कमा सकें। 

Content Editor

Prashant Tiwari