PM मोदी के 'मन की बात' पर देवबंद उलेमाओं ने जताई आपत्ति

punjabkesari.in Tuesday, Jan 02, 2018 - 12:49 PM (IST)

सहारनपुर: 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी द्वारा बिना महरम के हज पर जाने वाली बात पर देवबंद उलेमाओं ने आपत्ति जताई है। दारुल उलूम देवबंद का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं का अकेले हज पर जाना शरीयत में नाजायज है।

देवबंद के ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मुफ्ती मौलाना अरशद फारूकी ने कहा कि यह प्रधानमंत्री की अपनी राय हो सकती है। बिना महरम के हज पर जाने पर दो राय है। एक तो यह कि बिना महरम के हज पर जाना हराम है और दूसरी यह कि महरम के हज पर जाना जायज है।

साथ ही उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा की दृष्टि से महरम साथ में ले जाना जरूरी है। राजधानी जैसी जगहों पर एक महिला की इज्जत तार-तार कर दी जाती है, क्‍योंकि इसकी वजह सिर्फ यही है कि उसके साथ कोई महरम नहीं था, अगर महरम होता तो ऐसी घटनाएं रुक सकती थी।

क्या कहा था पीएम ने कार्यक्रम में?
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान कहा कि मैंने देखा है कि अगर कोई मुस्लिम महिला हज यात्रा के लिए जाना चाहती है तो वह बिना महरम के नहीं जा सकती। जब मैंने इस बारे में पता किया तो पता चला कि वह हम लोग ही हैं, जिन्होंने महिलाओं के अकेले हज पर जाने पर रोक लगा रखी है। पीएम मोदी ने कहा कि अल्पसंख्यक मंत्रालय ने यह प्रतिबंध हटा लिया है। अब मुस्लिम महिलाएं बिना महरम के हज यात्रा पर जा सकती है।

क्या है 'महरम'?
इस्लाम में महरम का बड़ा मर्तबा है। महरम वो है जिसके साथ निकाह नहीं हो सकता। जैसे मां, बहन, सास, फूफी, नानी और दादी। इनके महरम बेटा, भाई, दामाद, भतीजा, धेवता और पोता हैं।