आंखों की रोशनी कम होने के बावजूद भी देश का थर्ड टॉपर बना ये दिव्‍यांग

punjabkesari.in Sunday, May 22, 2016 - 11:11 AM (IST)

नोयडा: रक्षित मलिक दृष्टि बाधित होने के बावजूद भी टॉप कर देश में टॉप थ्री स्टूडेंट्स में जगह बनाई है। वह नोयड़ा के रहने वाले सेक्टर-44 स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी के छात्र हैंं। रक्षित को आंखों से कम दिखाई देता है इसके बावजूद भी उसने यह कामयाबी हासिल की है। वह दिव्यांग श्रेणी में पूरे देश में तीसरा स्थान हासिल किया है। 
 
क्‍या कहती हैं मां
रक्षित की मां रचना मलिक बताती हैं कि रक्षित बचपन से ही दिव्यांग है। उसने इंटर में 97.4 फीसदी नंबर प्राप्त किए हैं। बचपन में रक्षित को पढऩे में इतनी परेशानी नहीं होती थी, जितनी की अभी होती है। क्‍योंकि जैसे-जैसे वह बड़ा होता गया, उसकी आंखों की रोशनी भी कम होती चली गई।इससे रक्षित को देख पाने में परेशानी होती थी।
 
बड़े फॉन्ट साइज की किताब से की पढ़ाई
रचना मलिक ने बताया कि वह बेटे की आंखों की रोशनी के बारे में जानती थी। उसे दिखाई कम देता था। ऐसे में वह बड़े फॉन्ट साइज की किताब उसके लिए छपवाती थीं, ताकि उसे पढऩे में दिक्कत न हो। पढ़ाई में बाधा न आए, इसके लिए उसके चश्‍मे हाई रेजोल्यूशन ग्लासेज भी लगवाई थीं।हर तरह के टेक्निकल सपोर्ट के बाद भी रक्षित को पढऩे में आम बच्चों से ज्यादा समय लगता था। रचना बताती हैं कि जहां दूसरे बच्चे 6 से 8 घंटे पढ़ते हैं, वहीं रक्षित को उतना ही पढऩे में 10 से 12 घंटे लगते थे।
 
रक्षित का देश सेवा पहला विकल्प
रक्षित इंटर के बाद अब हिस्ट्री ऑनर्स में आगे पढऩा चाहते हैं।-रचना का कहना है कि रक्षित को एक बार सिविल सर्विसेज के लिए ट्राई करनीी चाहिए।-रक्षित ने बताया कि वह भी इसके इच्छुक हैंं। वह एक बार प्रयास जरूर करेंगे।-रक्षित के पिता का इलेक्ट्रॉनिक्स का बिजनेस है।
 
रक्षा ने लिखा रक्षित का उत्तर पुस्तिका
रक्षित को देखने में परेशानी है, इसके लिए सी.बी.एस.ई. की तरफ से उन्हें साथ में एक साथी रखने की छूट दी गई थी। रक्षित आंसर बोलते थे और रक्षा नाम की उनकी साथी आंसर को लिखती थीं। रचना बताती हैं कि रचित के एग्जाम के लिए सी.बी.एस.ई. से अलग से परमीशन ली गई थी और उन्हें एक्ट्रा टाइम भी दिया जाता था। बचपन से ही स्कूल और घर में बहुत अच्छा माहौल मिला। टीचर्स हों या रिश्तेदार सभी ने सहयोग किया। रक्षित को बचपन से ही मैकुलर डिजनरेशन नाम की बीमारी है। इस बीमारी में आंखों से कम दिखाई देता है। इस कारण पीड़ित किसी चीज पर फोकस नहीं कर पाता है।