डॉक्टर की बड़ी लापरवाहीः नसबंदी के बावजूद दो पीड़िताओे ने दिया बच्चों को जन्म,आज तक शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई

punjabkesari.in Wednesday, Oct 12, 2022 - 05:49 PM (IST)

रायबरेलीः जहां एक तरफ सरकार द्वारा जनता में जागरूकता अभियान व परिवार नियोजन के लिए योजनाएं चलाकर जनसंख्या को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है,वहीं दूसरी तरफ सरकार के ही नुमाइंदे सरकारी योजनाओं को पलीता लगाने से नहीं चूक रहे हैं। जी हां डॉक्टरों की लापरवाही के चलते नसबंदी होने के बावजूद भी ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या में बढ़ोतरी हो रही है।  धीरे धीरे गरीब जनता स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की पोल खोलती नजर आई लेकिन इन पीड़ितों की कोई सुनने वाला नहीं है। दोनों पीड़ित परिवारों को बछरावां सीएचसी केंद्र पर डॉक्टर अनिल कुमार जैसल द्वारा नसबंदी की गई थी जिसके बाद भी पीड़ितों के घर बच्चे का जन्म हुआ। पीड़िता की माने तो डॉक्टर ने भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध को करने का दबाव बनाया लेकिन उसने एसा न करके बच्चे को जन्म दिया। हाल ही में दो ताजे मामले प्रकाश में आये हैं। जिनका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बछरावा में नसबंदी ऑपरेशन होने के बावजूद भी बच्चे ने जन्म लिया। 

जानकारी के अनुसार नसबंदी से संबंधित पहला मामला क्षेत्र के शेखपुर समोधा गांव का है। यहां की रहने वाली मालती पत्नी मनोज कुमार ने बताया कि सन 2018 में मैंने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बछरावां में नसबंदी का ऑपरेशन कराया था । मेरा नसबंदी का ऑपरेशन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक अनिल कुमार जैसल ने किया था। उसके बावजूद भी पेट में बच्चा आने पर मैंने बच्चे को जन्म दिया। मालती के पति मनोज कुमार की माने तो उसकी पत्नी मालती की नसबंदी का ऑपरेशन बछरावां सीएचसी में हुआ था,लेकिन ऑपरेशन होने के बाद मालती को बच्चा हो गया। मैंने कई बार सरकारी अस्पताल पहुंचकर अधीक्षक से न्याय की गुहार लगाई परंतु मुझे न्याय नहीं मिला। 

वहीं दूसरा मामला क्षेत्र के नारायण खेड़ा मजरे पिण्डौली का है। एक गांव की रहने वाली ममता देवी पत्नी हुबलाल ने उजागर किया। जिनका कहना है कि दिसंबर 2018 में बछरावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉ० अनिल कुमार जैसल ने नसबंदी का ऑपरेशन किया था। उसके पश्चात मुझे गर्भधारण हो गया और ऑपरेशन के पश्चात भी बच्चा हुआ। ममता ने यहां तक बताया कि कि डॉक्टर ने उसे निशुल्क गर्भ गिराने का भी दबाव बनाया लेकिन ममता ने सूझबूझ का परिचय देते हुए बच्चे को जन्म दिया। बताया जाता है कि दोनों पीड़िताऐं आज भी लगातार डॉक्टर की लापरवाही का दंश झेल रही हैं और लगातार इलाज के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के चक्कर लगाती रहती है। 

इन दोनों मामले में सबसे बड़ी बात यह देखने को मिली कि दोनों पीड़ित परिवार लगातार सीएचसी केंद्र में शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाते रहे लेकिन दोनों पीड़ित परिवारों की कोई सुनने वाला नहीं है। आखिरकार दोनों ने अपने अपने बच्चों को जन्म दिया। जिन डॉक्टरों पर जनता को बचाने की जिम्मेदारी सौंपी जाती है वही ऐसे लापरवाह डॉक्टर अपनी लापरवाही को छुपाने के लिए मरीजों को भ्रूण हत्या करने की सलाह देते हैं। शिकायत के बावजूद भी ऐसे लापरवाह डॉक्टरों पर आज तक कार्यवाही नहीं हो सकी क्योंकि उनकी पहुंच ऊपर तक बताई जाती है। यही नहीं पत्रकारों द्वारा इन दोनों घटनाओं में लापरवाही पर उनसे सवाल जवाब करने पर पहले तो डॉक्टर साहब चौकतें नजर आए फिर प्रश्नों को अनसुना करते हुए सफाई देते नजर आए और कह दिया नसबंदी के बाद भी कभी-कभी बच्चे हो जाते हैं।

इस मामले को लेकर जब सीएमओ रायबरेली से बात की गई तो उन्होंने बताया कि नसबंदी फेल होने के चांस रहते हैं इसलिए पीड़ितों को 90दिन के अंदर शिकायत करना अनिवार्य होता है। अब इसके लिए पीड़ितों को सीएमओ ऑफिस पर शिकायत करना होगा और मामले पर उचित कार्यवाही की जाएगी।


 


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Content Writer

Ajay kumar

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