फिर बढ़ी मुश्किलेंः आजम के जौहर यूनिवर्सिटी भूमि पर सीलिंग की कार्रवाई

punjabkesari.in Saturday, Feb 15, 2020 - 12:33 PM (IST)

रामपुर: सपा सांसद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक के बाद एक लगभग 88 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। जिनमें कई मुकदमों में वह वांछित हैं और पुलिस उनकी तलाश में हैं। जिसके बाद ताजा कार्रवाई में आजम खान के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘जौहर यूनिवर्सिटी’ की भूमि पर प्रशासन द्वारा सीलिंग की कार्रवाई की गई है। जिसकी सुनवाई एडीएम वित्त एवं राजस्व रामपुर के न्यायालय में होगी।

दरअसल जमीदारी उन्मूलन अधिनियम के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को अधिकतम साढ़े 12 एकड़ जमीन रखने की अनुमति है। जबकि इससे अधिक भूमि रखने के लिए धारा 154 के अंतर्गत प्रदेश सरकार से अनुमति लेना होती है। जौहर यूनिवर्सिटी के नाम 69 हेक्टेयर भूमि है।  जिसकी अनुमति चैरिटेबल  कार्य हेतु ली गई थी। परंतु एसडीएम सदर द्वारा रिपोर्ट में यह कहां गया है कि वहां पर चैरिटेबल कार्य होता नहीं पाया गया। इसलिए उपरोक्त अनुमति की शर्तों के विपरीत कार्य करने के चलते तय सीमा 12.5 एकड़ से अधिक 158 एकड़ भूमि को राज्य सरकार में दर्ज कर दिया जाए। उनकी इस रिपोर्ट पर जिलाधिकारी रामपुर ने नोटिस जारी करते हुए अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के न्यायालय में कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए हैं।

इस संबंध में अपर जिलाधिकारी ने बताया कि जौहर ट्रस्ट के नाम से जो जमीनें खरीदी गई हैं।  जिसमें पूर्व के जो नियम थे वो थे अब जेड ए की 154 के तहत एक परमिशन लेनी पड़ती है, अनुज्ञा लेनी पड़ती है। जिसके अंदर अगर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन खरीदते हैं, तो उसके लिए राज्य सरकार से अनुज्ञा चाहिए। जिसके तहत यह टोटल जमीने खरीदी गई थी और टोटल जो जमीन थी, वह 69 हेक्टेयर थी। उस 69 हेक्टेयर में से 5 हेक्टेयर जमीन छोड़कर के यानी साढ़े 12 एकड़ जमीन छोड़कर के लगभग 64 हेक्टेयर जमीन है उस 64 हेक्टेयर जमीन को चैरिटेबल रूप में कार्य करने के कारण से ये अनुज्ञा प्राप्त हुई थी। लेकिन चूंकि चेरेटेबल वर्क नहीं किया जा रहा है। इसके आधार पर तहसील सदर के उप जिलाधिकारी की रिपोर्ट प्राप्त हुई है।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य संहिता के तहत कार्यवाही करने के लिए और साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि क्योंकि उल्लंघन में आ रही है, उन शर्तों का पालन नहीं किया जा रहा है तो उसको राज्य सरकार में समस्त भारों से मुक्त होकर राज्य सरकार में निहित करने की रिपोर्ट प्राप्त हुई है। जिस पर कलेक्टर साहब ने इसको सुनने के लिए न्यायालय के रूप में एडीएम वित्त राजस्व को प्रेषित किया है।

वहीं एडीएम जगदंबा प्रसाद गुप्ता ने बताया कि यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे बच्चों की पढ़ाई पर इस मामले से कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा और शैक्षिक व्यवस्था का इससे कोई मतलब नहीं है। यह केवल जमीन को लेकर जो विवाद है, उसको लेकर है। उन्होंने कहा कि जैसा कि मैंने बताया राज्य सरकार में यह जमीन निहित होगी तो उसका यूनिवर्सिटी के ऊपर, शिक्षा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। केवल वह जमीन अगर राज्य सरकार की घोषित होती है तो राज्य सरकार के रूप में दर्ज रहती है। अगर यह पाया जाता है साक्ष्य के रूप में दी गई नोटिस गलत जारी हुए हैं तो नोटिस वापस हो जाएंगे।

गुप्ता ने बताया कि यह कुल जमीन 69 हेक्टेयर है। जिसमें से 5 हेक्टेयर यानी साढ़े 12 एकड़ जमीन हमारे एक्ट 154 के तहत किसी भी व्यक्ति के रखने के लिए अधिकृत है। इसके अतिरिक्त जितनी भी जमीन है वह समस्त भार से मुक्त होकर राज्य सरकार में निहित होगी। उसे किसी भी प्रकार का कोई भार सरकार के ऊपर आयत नहीं होगा। कोई देनदारी सरकार पर नहीं रहेगी। इस मामले में अपर जिलाधिकारी वित्त राजस्व ज्यूडिशल प्रोसेस के तहत इसकी सुनवाई करेंगे। सम्मित साक्ष्य का अवसर दिया जाएगा। और सुनवाई होने के बाद न्यायालय जो भी निर्णय करेगा उसके अनुसार कार्रवाई होगी।

 

Ajay kumar