डिंपल यादव ने बड़ी जीत से गरिमा के साथ बचाई ''नेताजी'' की विरासत

punjabkesari.in Friday, Dec 09, 2022 - 07:08 PM (IST)

लखनऊः समाजवादी पार्टी उम्मीदवार डिंपल यादव ने जिस गरिमा के साथ अपने ससुर और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत पर जीत का परचम लहराया, यह आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजनीति में बदलाव की दस्तक भी है। कहीं न कहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी चाचा शिवपाल के बगैर अधूरे थे। ऐसे में इस जीत के साथ दोनों का अब सपा के झंडे तले आ जाना पार्टी की मजबूती का संकेत है। अब अखिलेश और शिवपाल के रिश्ते को न बिगड़ने देने की भी जिम्मेदारी उन्हें निभानी होगी, जैसा कि शिवपाल ने बयान दिया था।

मैनपुरी में सपा की जीत ने यह भी साबित कर दिया कि अखिलेश यादव ही मुलायम सिंह यादव की विरासत के असली हकदार हैं। शिवपाल ने भी जनता की नब्ज पकड़ते हुए अखिलेश को 'छोटे नेताजी' के नाम से यूं ही नहीं नवाजा है। शिवपाल ने तो यह भी कहा है कि मैनपुरी की जनता मुझे छोटे मुख्यमंत्री कहती है। ऐसे में अखिलेश को छोटे नेताजी कहना यह साबित करता है कि शिवपाल ने अपने भतीजे को राजनीतिक पटल पर मुलायम का स्थान देना स्वीकार लिया है।

भाजपा मंत्री और विधायक भी नहीं बचा पाए वोट
चौंकाने वाली बात तो यह रही कि सपा का गढ़ कही जाने वाली मैनपुरी लोकसभा सीट में आने वाली मैनपुरी सदर विधानसभा सीट से भाजपा सरकार में पर्यटन एंव संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह विधायक हैं। लेकिन सपा को यहां से भी इस उपचुनाव में समर्थन मिला। डिंपल यादव यहां से भी रघुराज सिंह शाक्य को पीछे छोड़ते हुए आगे रही। इतना ही नहीं भौगांव विधानसभा सीट भी भाजपा के रामनरेश अग्निहोत्री विधायक है। डिंपल को यहां से भी समर्थन मिला। बहरहाल, डिंपल यादव ने इस सीट पर जीत का परचम फहरा कर सपा परिवार की साख तो बचायी ही है। यह भी साबित किया है कि मैनपुरी लोकसभा सीट, सपा का ही गढ़ है।

मुलायम सिंह यादव पहली बार 1996 में इस सीट से लड़ा था चुनाव
साल 1996 में इस सीट से पहली बार सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने चुनाव लड़ा था और तब से यह सीट सपा की ही झोली में रही। ऐसे में उनकी मृत्यु के बाद पार्टी और यादव परिवार पर मुलायम सिंह यादव की विरासत को ससम्मान बचाने की चुनौती थी। इस चुनौती को पार पाने में सपा कामयाब रही। अखिलेश ने जिस रणनीति के तहत पत्नी डिंपल यादव को इस सीट से उम्मीदवार बनाया था उसमें तात्कालिक के साथ दूरगामी सफलता भी मिलती नजर आती है। दरअसल, मैनपुरी सीट का प्रभाव आसपास की सीटों पर भी पड़ता है।

Content Writer

Ajay kumar