दिनेश शर्मा ने तमिलनाडु के मंत्री के बयान पर किया पलटवार, कहा- हिंदी का विरोध करना ''ओछी मानसिकता''

punjabkesari.in Sunday, May 15, 2022 - 07:34 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा ने तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी द्वारा पिछले दिनों हिन्दी के संबंध में की गई टिप्पणी को ‘ओछी मानसिकता' और ‘अल्पज्ञान' का परिचायक बताया है। शर्मा ने रविवार को यहां एक बयान में कहा कि तमिलनाडु के मंत्री के. पोनमुडी का पिछले बृहस्पतिवार को हिन्दी के संबंध में दिया गया बयान न केवल बहुसंख्यक हिन्दी भाषियों का अपमान है बल्कि उस भाषा का भी अपमान है जिसे ''भारत माता की बिन्दी'' कहा जाता है। उन्होंने कहा, "जहां तक हिन्दी का सवाल है तो उसने सात समंदर पार पहुंचकर अपना स्थान बना लिया है इसलिए जब प्रायः विदेशी राज्याध्यक्ष भारत में आते है तो वे हिन्दी में बोलकर भारतीयों से आत्मीयता बनाने का प्रयास करते हैं। 

भारत में हिन्दी सबसे अधिक बोली जाती है। दक्षिण भारत में भी ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जो हिन्दी बोलते और समझते हैं। हर भाषा में अच्छाइयां होती हैं इसलिए किसी को निम्नस्तर की या उच्चस्तर की बताना अल्पज्ञान का परिचायक है।" शर्मा ने कहा कि तमिलनाडु के मंत्री ने यह कहकर अपनी संकुचित मानसिकता का परिचय दिया है ''हिन्दी पढ़ने या बोलनेवाले पानी पूरी बेचते हैं ।'' किसी व्यक्ति का मूल्यांकन उसके व्यवसाय करने की जगह उसके गुणों से किया जाता है। एक ईमानदार और सच का आचरण करनेवाले गरीब का स्थान महलों में रहने वाले भ्रष्ट, बेईमान, झूठ बोलने वाले से ऊंचा होता है।" शर्मा ने कहा कि हिंदी के विरोध से अल्पकालीन राजनैतिक लाभ तो मिल सकता है मगर ''सर्वे भवन्तु सुखिनः'' एवं ''वसुधैव कुटुम्बकम'' के संकल्प को पूरा नही किया जा सकता।

गौरतलब है कि तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने पिछले बृहस्पतिवार को कोयंबटूर स्थित भरथियार विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिंदी को लेकर एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने हिंदी भाषा को रोजगार से जोड़ने के मुद्दे पर कहा था कि हिंदी बोलने वाले पानी पूरी बेचते हैं। उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार दो भाषा प्रणाली को लागू करने के लिए संकल्पबद्ध है। इसमें स्थानीय भाषा के रूप में तमिल और अंरराष्ट्रीय भाषा के रूप में अंग्रेजी है।

Content Writer

Ramkesh