1लीटर दूध 81 बच्चाें में बांटने के मामले में DM का तुगलकी फरमान- अधिकारी मीडिया के सामने न करें बात
punjabkesari.in Saturday, Dec 14, 2019 - 02:01 PM (IST)
सोनभद्र: उत्तर प्रदेश सरकार भले ही कार्यों में पारदर्शिता और जीरो टॉलरेंस की बात करती हो मगर सोनभद्र में सरकार की नीतियों व उनकी योजनाओं के बारे में बोलने पर पाबंदी लगा दी गई है। साथ ही चेतावनी दी गई है कि यदि इस निर्देश का अनुपालन न किया गया तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। डीएम एस राजलिंगम की ओर से यह पत्र चार दिसंबर को जारी किया गया है।
बता दें कि समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों को भेजे गए अपने इस पत्र में डीएम ने कहा है कि प्राय: यह देखा जा रहा है कि किसी भी घटना या दुर्घटना अथवा प्रकरण पर मीडिया के सामने विभागीय अधिकारियों द्वारा वास्तविक तथ्यों के जाने-समझे बिना विपरीत व भ्रामक वक्तव्य दिया जाता है। इससे जहां एक ओर जिला प्रशासन के समक्ष असमंजसपूर्ण स्थिति उत्पन्न होती है, वहीं दूसरी तरफ सरकार की छवि धूमिल होती है। डीएम ने पत्र में कहा है कि इसलिए उक्त के दृष्टिगत स्पष्ट रूप से निर्देश दिया जाता है कि जनपद स्तर पर उनके अथवा जब तक किसी अधिकारी को वह अधिकृत न करें, तब तक जनपद में किसी भी विभागीय अधिकारी द्वारा मीडिया के सामने कोई साक्षात्कार अथवा वक्तव्य न दिया जाए।
इतना ही नहीं जिलाधिकारी ने कहा कि इस संबंध में शासन-प्रशासन की ओर से भी निर्देश जारी किया गया है। साथ ही चेतावनी दी है कि उक्त निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन किया जाए। इसमें किसी भी प्रकार की शिथिलता बरतने पर संबंधित के विरुद्ध सुसंगत नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। उधर, डीएम के इस फरमान के बाद से जिले के अधिकारी किसी मुद़्दे पर बात करने से बच रहे हैं।
आप पत्र में देख सकते है कि किस तरह से डीएम के पत्र पर बेसिक शिक्षा अधिकारी की तरफ से सभी विभागीय अधिकारयों को लिखित मार्क किया गया है कि इसका अनुपालन करें। वर्तमान समय में आलम यह हो गया है कि कोई जरूरी सूचना भी उनसे मांगी जा रही है तो वह डीएम के आदेश का हवाला देकर बच रहे हैं।
आपको बता दें कि जिलाधिकारी का यह पत्र सोनभद्र के एक सरकारी स्कूल में एक लीटर दूध में 81 बच्चों को पिलाने वाली घटना के बाद आया है। स्कूल वाली खबर से न सिर्फ जिला प्रशासन बल्कि सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। एक लीटर में 81 बच्चों को दूध पिलाने वाली खबर में खण्ड शिक्षाधिकारी ने बयान देकर यह स्वीकार किया था कि भूल हुई है। माना जा रहा है कि यह पत्र उस घटना से सबक लेते हुए लिखा गया है ताकि कोई अधिकारी सच न बोल सके। गौर करने वाली बात यह है कि जिलाधिकारी के पत्र में मीडिया को बयान देने के लिए किसी को नामित भी नहीं किया गया है। जिलाधिकारी के इस तुगलकी फरमान पर जब जिलाधिकारी से बात करना चाहा तो वे बेसिक शिक्षा अधिकारी के साथ बिना कुछ बोले चलते बने।
वहीं सदर के बीजेपी विधायक भूपेश चौबे से जब इस मामले पर सवाल किया गया तो बीजेपी विधायक डीएम का ही बचाव करते नजर आये और ये अस्वासन दिया की वो इस संबंध में डीएम से बात करेंगे।
वहीं कांग्रेसी नेता धीरज पांडे ने इसका पुरजोर विरोध किया है। कांग्रेस नेता का कहना है जिलाधिकारी का पत्र लोकतंत्र के लिए घातक है। उन्होंने इस व्यवस्था के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।