जंगली कुत्तों ने छीने नन्हीं देवकी के सपने, पिसावां गांव में अभी तक पसरा है मातम

punjabkesari.in Thursday, May 16, 2019 - 05:10 PM (IST)

मथुराः बड़ी होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनने का सपना संजोये नन्हीं देवकी को इंतजार था स्कूल से कॉपी, किताबें और नयी ड्रेस मिलने का। गर्मी की छुटि्टयों के बाद कंधे पर बैग लटकाकर स्कूल जाने के उसके सपने जंगली कुत्तों ने तार-तार कर दिये और इस मासूम बच्ची की दिल दहला देने वाली मौत के बाद पिसावां गांव में दहशत के साथ मातम पसरा हुआ है। उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के पिसावा गांव में सोमवार, 13 मई की सुबह अपने पिता को नाश्ते का टिफिन देने जा रही सात साल की देवकी को जंगली कुत्तों ने नोंच-नोंचकर मार डाला था।

हमला इतना भयावह था कि बच्ची का शव क्षत-विक्षत हो गया था। देवकी के पिता भूप सिंह ने भरे गले से बताया , "मैं उसे अभी स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन अपनी दो बड़ी बहनों को देखकर वह अक्सर खुद भी उनकी तरह ही स्कूल ड्रेस पहनकर, कंधे पर किताब-कॉपियों से भरा बैग लटकाए स्कूल जाना चाहती थी। उसे पढ़ने का बहुत शौक था। उसका दिमाग बाकी बच्चों से तेज था।" उन्होंने कहा ,‘‘ अब वह कभी भी ड्रेस पहन कर, बैग लटकाए स्कूल जाती दिखाई नहीं देगी।

उसे अभी स्कूल से किताब-कापियों का बैग व ड्रेस नहीं मिल पाई थी और वह इंतजार में थी लेकिन उससे पहले ही यह हो गया। उसके साथ सारे सपने भी चले गए। ''इस भयावह हादसे के बाद पिसावां गांव में दहशत के साथ मातम पसरा हुआ है।

पशु विशेषज्ञों का कहना है कि देहात क्षेत्र में खेतों में फेंके गए मृत पशुओं का मांस खाने वाले कुत्ते अब सियार, भेड़िया या लोमड़ी जैसे हिंसक वन्य जीवों की तरह ही व्यवहार करने लगे हैं। इसी कारण वे अब मनुष्यों पर हमले कर रहे हैं। पशु चिकित्सा विभाग के मण्डलीय अपर निदेशक एवं पूर्व में मथुरा के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी रहे डॉ. एच के मलिक ने कहा, ‘‘पहले जंगली इलाकों में गिद्ध और चील बड़ी संख्या में होते थे जो मृत पशुओं को खा जाते थे। अब उनकी आबादी लगभग खत्म हो जाने की वजह से आवारा कुत्ते मृत पशुओं का मांस खाकर जंगली जानवरों के समान ही व्यवहार करने लगे हैं।'

इस घटना के परिप्रेक्ष्य में प्रधान कालीचरण की शिकायत पर, पिसावां गांव में मुआयना करने पहुंचे छाता तहसील क्षेत्र के पशु चिकित्साधिकारी डॉ. मनोज अग्रवाल ने कहा, ‘‘ हमारी टीम ने जब गांव में इन कुत्तों की तलाश की तो वे नहीं मिले। संभव है कि उनका झुण्ड जंगली क्षेत्र में कहीं अंदर चला गया हो।'' उन्होंने कहा,‘‘ अब तक तो ये कुत्ते मरे हुए मवेशियों अथवा गाय-भैंस के कमजोर पड्डों, खरगोश, नीलगाय, मोर आदि को शिकार बनाते थे, लेकिन किसी इंसान की जान लेने की यह पहली घटना है।''


 

Tamanna Bhardwaj