हौसले को सलाम! नहीं है एक पैर, लेकिन रोज चलाते हैं 40 KM साइकिल, रफ्तार देखकर लोग हैरान

punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 01:50 PM (IST)

अलीगढ़: अगर व्यक्ति में कुछ कर गुजरने की इच्छा है तो विषम परिस्थिति में भी अपना रास्ता तलाश ही लेता है। आज आपको ऐसे ही व्यक्ति से रूबरू कराने जा रहे हैं। जिसकी जीवटता एक मिसाल है। अलीगढ़ (Aligarh) के अतरौली के लोधा नगला का रहने वाले नरेश एक पैर से पूरी तरह दिव्यांग है, लेकिन फर्राटे से साइकिल (Bicycle) चलाते हैं। उनकी साइकिल की रफ्तार देखने वालों को चकित कर देती है। रामघाट रोड पर उन्हें साइकिल चलाते देखा जा सकता है। वे तालानगरी (Talanagari) में एक फैक्ट्री में काम करते हैं। रोजाना 40 किलोमीटर साईकल चलाकर आना जाना करते हैं।

एक पेंडल पर डंडे के सहारे से चलाते हैं साइकिल
नरेश दिव्यांग होने के बावजूद आत्मनिर्भर हैं और कहीं भी जाना होता है तो वह साइकिल पर चढ़कर हवा से बात करते हैं। नरेश ताला नगरी में एक फैक्ट्री में मजदूरी करते हैं और रोज अतरौली से 20 किलोमीटर दूर लंबा सफर साइकिल से ही तय करते हैं। रोजोना 40 किलोमीटर की दूरी तयकर नरेश साइकिल से ही घर को पहुंचते हैं। साइकिल पर ही एक पेंडल पर डंडे के सहारे से चलाते हैं और इनको रोड पर साइकिल चलाते देख लोगों की नजर इन पर टिक जाती है। एक दुर्घटना में उन्हें अपने पैर गंवाने पड़े, लेकिन हार नहीं मानी। दिव्यांगती को अपने हौसलों से पस्त कर दिया, लम्बी दूरी तय कर फैक्ट्री जाते है और काम कर नरेश आत्म निर्भर है।

आम आदमी से भी तेज साइकिल चलाने की क्षमता रखते हैं दिव्यांग नरेश
नरेश इस कारनामें को देखकर लोग हैरान हो जाते हैं। निश्चित ही नरेश से लोगों को प्रेरणा मिलती है। एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद नरेश परिवार पर बोझ नहीं है। एक आम आदमी से भी तेज साइकिल चलाने की क्षमता नरेश रखते हैं। प्रतिदिन नरेश घर से साइकिल चलाकर फैक्ट्री पहुंचते हैं और फिर फैक्ट्री से घर को आते हैं। दिव्यांग होने के बावजूद जीवन में निराशा नहीं आने दी। नरेश से प्रेरणा लेनी चाहिए कि आज के दौर में लोग निराश होकर आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। ऐसे में नरेश का यह वीडियो देखने लायक है। 

पैर गंवाने के बाद भी नरेश में आलास नाम की चीज़ नहीं- फैक्ट्री मालिक
ट्रेन हादसे में रेलवे के द्वारा जो आर्थिक मदद मिली थी वह पैसा उसके इलाज में खर्च हो गया। नरेश अब मेहनत मजदूरी करके अपना पालन पोषण कर रहा है। उसकी एक मांग है कि सरकारी नौकरी मिल जाए तो उसका भला हो जाएगा। सरकार से उसे कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है, जिस फैक्ट्री में नरेश कार्य करता है। उस फैक्ट्री के मालिक भी दिव्यांग हैं। उन्होंने बताया कि मैं नरेश में अपने आपको देखता हूं फैक्ट्री मालिक ने कहा कि लोग अच्छे खासे होने के बावजूद भी काम नहीं करते हैं और नरेश एक पैर गंवाने के बाद भी आलास नाम की चीज़ नहीं देखी गई। बहुत मेहनत से कार्य करता है। 

Content Writer

Tamanna Bhardwaj