बुंदेलखंड में सूखे की आहट, खरीफ की फसल चौपट होने की कगार पर

punjabkesari.in Friday, Aug 18, 2017 - 01:51 PM (IST)

महोबा: उत्तर प्रदेश में पथरीले भू भाग वाले बुंदेलखंड में सूखे ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। करीब साढ़े चार लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में यहां बोई गई खरीफ की फसल वर्षा जल के अभाव में चौपट होने की कगार पर है। सूखे की आशंका के मद्देनजर इलाके से बड़ी संख्या में किसानों का पलायन शुरू हो गया है। मौके की नजाकत भांप कर विभिन्न जिलों से प्रशासन द्वारा इस संबंध में राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रेषित की गई है।

मानसून की विदाई के मौके पर आग उगलते सूरज की किरणें बुंदेलखंड के किसानों की उम्मीदों को ध्वस्त कर चली है। सरकारी आकड़ो के अनुसार चित्रकूट धाम मंडल के चार जिलों में जून से अब तक महज198 मि.मी बारिश हुई है। परिणाम स्वरूप सिंचाई के लिए वर्षा जल पर आश्रित रहने वाला इलाके का अधिकांश कृषि क्षेत्र अपनी प्यास नही बुझा सका और खरीफ में इस पर बोए गए दाने अंकुर निकलने के साथ ही कुम्हलाने लगे।

कृषि विभाग के मुताबिक मंडल के महोबाए बांदाए चित्रकूट ओर हमीरपुर जिलो में खरीफ की फसल में करीब चार लाख 36 हजार 834 हैक्टेयर में फसलों का आच्छादन हुआ। इनमे तिल,उर्द, मूंग, मूंगफली आड़ की फसलें शामिल है। इसके अलावा लगभग 65 हजार हैक्टेयर में धान की बेलों की रोपाई भी हुई है मगर सूखे ने सब कुछ चौपट कर दिया। पानी के अभाव में महोबा और चित्रकूट जिलो के कई छेत्रो में तो बीज ही अंकुरित नही हुए और जहां कही खेतो में कुछ बालियां उगी है तो वे अब पीली पड़कर सूख चली है। इससे खेतो में बेहतर उत्पादन की उम्मीद संजोये किसान निराश हो चले है।

कृषि उप निदेशक जी राम ने बताया जुलाई के पहले सप्ताह में बारिश ठीक ठाक देख किसानों को खरीफ की फसल से उम्मीद जगी थी, लेकिन अब हालात खराब है। किसानों को कुछ मिल पाने की बात तो दूर है। पानी के बगैर घास भी जहरीली हो जाने से पशुओ के लिए चारे के संकट पैदा होने की आशंका है।

श्री राम ने बताया कि अकेले महोबा जिले में एक लाख 22 हजार हैक्टेयर में खरीफ की फसल की बुआई की गई थी। साल भर में यहां औसतन800 मि.मी बारिश के सापेक्ष अब की महज एक चौथाई कुल 248 मि.मी बारिश हुई है। सूखे से फसल को हो रहे नुकसान का आकलन कर हर रोज शासन को रिपोर्ट भेज हालात से अवगत कराया जा रहा है।

सिंचाई प्रखंड महोबा के सहायक अभियंता विवेक कुमार गुप्ता ने बताया कि सूखे की आहट का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वर्षा न होने के कारण जिले के बांध भी अबकी निर्धारित क्षमता तक नही भरे जा सके। अर्जुन बांध को अब तक176 फिट के सापेच्छ 167 फिट,चंद्रावल 147 के स्थान पर 146 कबरई को 167 की जगह 149 मझगवां को 224 के स्थान पर 217 ओर उर्मिल बांध को 229  फिट क्षमता के बावजूद 228 फिट ही भरा जा सका है। बांधो में पानी कम आने के कारण रबी की फसल को सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराना भी मुश्किल होगा।