'भारत बंद' के दौरान जिंदगी की जंग हार गया मासूम, लेकिन स्कूल के इम्तिहान में किया टॉप

punjabkesari.in Friday, Apr 20, 2018 - 12:39 PM (IST)

लखनऊः एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के विरोध में 2 अप्रैल को भारत बंद हुआ था। भारत बंद के दौरान हुई आगजनी और भगदड़ में 5वीं में पढ़ने वाले 12 साल के निखिल ने अपनी जान गंवा दी थी। वहीं बुधवार को जब निखिल का 5वीं क्लास का रिजल्ट आया तो उसके परजिनों के आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। घायल होकर जान गंवाने वाला 12 साल का निखिल बेशक जिंदगी के इम्तिहान में फेल हो गया, लेकिन स्कूल के इम्तिहान में उसने टॉप किया। 

जानिए पूरा मामला 
कृशियन कॉलोनी बागू में रहने वाले बिजली विभाग के लाइनमैन नीरज कुमार का बेटा निखिल (12) 2 अप्रैल को भारत बंद वाले दिन सिब्बनपुरा में रहने वाली मौसी के घर गया था। वह करीब 11 बजे पैदल गौशाला से होकर अपने घर आ रहा था। इस दौरान आंदोलनकारियों की ओर से पुलिस की एक लैपर्ड बाइक में आग लगाने के बाद भगदड़ मच गई। इस दौरान निखिल वहीं था। 

7 अप्रैल को निखिल की हुई मौत 
निखिल के पिता का आरोप है कि इस दौरान किसी ने भागते हुए उनके बेटे को धक्का मार दिया और वह आग की चपेट में आ गया। आसपास के लोगों ने बताया कि 2 अप्रैल को बच्चा आग में लिपटा हुआ भागा था, वहां लोगों ने आग बुझाकर उसे पास के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया था। वहां से उसे दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में रेफर किया गया। इलाज के दौरान 7 अप्रैल को उसकी मौत हो गई थी।

पुलिस ने नहीं दिखाई कोई गंभीरता
निखित के पिता नीरज के कहना है कि उसने बच्चे के साथ हुए हादसे की जानकारी पुलिस को दी थी, लेकिन पुलिस ने इस बारे में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। नीरज ने बताया कि इसके बाद जब उन्होंने शिकायत की बात कही, तो पुलिस ने कहा कि बेटे के ठीक होने के बाद आना। वहीं उपद्रव के बाद भी पुलिस ने कभी किसी बच्चे के घायल होने की जानकारी मीडिया को नहीं दी।

5वीं क्लास में किया टॉप
वहीं बुधवार को निखिल का रिपोर्ट कार्ड उसके माता-पिता को मिला तो वह अपने आंसू रोक नहीं पा रहे थे। निखिल ने पांचवी क्लास में टॉप किया था। अगर वह जिंदा होता तो अपने परिवार के साथ इसकी खुशी मना रहा होता। परिजनों का कहना है कि निखिल पढ़ाई में काफी तेज था। वहीं आंखों में आंसू लिए निखिल के पिता निरज का कहना है कि रिजल्ट देखकर उनका दर्द और बढ़ रहा है। रह-रहकर उसकी व उसके सपनों की याद आ रही है।

Tamanna Bhardwaj