मॉब लिंचिंग के लिए सख्त कानून बनाने की जरूरत: मायावती

punjabkesari.in Saturday, Jul 13, 2019 - 01:52 PM (IST)

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती ने मॉब लिंचिंग के लिए सख्त कानून बनाए जाने की मांग करते हुए कहा कि इसके शिकार अब केवल दलित, आदिवासी व धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लोग तथा पुलिस भी बन रही हैं। मायावती ने यहां जारी बयान में कहा कि भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) एक भयानक बीमारी के रूप में देशभर में फैल रही है।

उन्होंने आरोप लगाया कि यह रोग भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकारों की कानून का राज स्थापित नहीं करने की वजह से हो रहे है। इसके शिकार अब केवल दलित, आदिवासी व धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोग ही नहीं बल्कि सर्वसमाज के लोग तथा पुलिस भी बन रही हैं। उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटना पहले भी इक्का-दुक्का हुआ करती थी, लेकिन अब यह घटनाएं आम हो गई हैं। देश में लोकतंत्र के हिंसक भीड़तन्त्र में बदल जाने पर सभ्य समाज में चिन्ता की लहर है। उच्चतम न्यायालय ने भी इसका संज्ञान लेकर केन्द्र व राज्य सरकारों को इसके लिए निर्देंश जारी किए हैं। इस मामले में भी केन्द्र व राज्य सरकारें कतई भी गम्भीर नहीं है।

मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग की यह पहल काफी स्वागत योग्य है कि भीड़ हिंसा की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए अलग से नया सख्त कानून बनाया जाए। मसौदे के रूप में ‘‘उत्तर प्रदेश काम्बेटिंग आफ मॉब लिंचिंग विधेयक, 2019‘‘ आयोग ने राज्य सरकार को सौंप कर दोषियों को उम्र कैद की सजा तय किए जाने की सिफारिश की है।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उन्मादी व भीड़ हिंसा की बढ़ती घटनाओं से सामाजिक तनाव काफी बढ़ गया है। हिंसक भीड़ जानती है कि जाति व धर्म के नाम पर वह कानून से खिलवाड़ कर सकती है। वे मानते हैं कि भाजपा सरकार उनको संरक्षण देगी। ऐसी मनोवृत्ति के कारण ही भीड़ हिंसा की घटनाएं रूकने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव की हालिया घटना भी यह साबित करती है कि सामाजिक जीवन कितना तनावग्रस्त हो गया है और हर किसी को किसी न किसी रूप में प्रभावित कर रहा है, यह अति-दु:खद है।


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