विद्युत विधेयक 2020: संसद में पेश करने से पहले स्थायी समिति के पास भेजने की उठी मांग

punjabkesari.in Friday, Jun 26, 2020 - 05:36 PM (IST)

लखनऊ: विद्युत (संशोधन) विधेयक, 2020 पर केंद्रीय विद्युत् मंत्री के स्पष्टीकरण से असंतुष्ट बिजली अभियंताओं के एक अखिल भारतीय संगठन ने इसे संसद में पेश करने से पहले उसे विस्तृत विचार-विमर्श के लिये ऊर्जा मामलों की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की है।

ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने विधेयक पर विद्युत मन्त्री आर. के. सिंह द्वारा जारी स्पष्टीकरण को अस्पष्ट और भ्रामक बताया। संगठन ने मांग की है कि विधेयक को संसद में रखे जाने के पहले विस्तृत विचार-विमर्श के लिये ऊर्जा मामलों की स्थायी समिति के पास भेजा जाए ताकि सभी हितधारकों खासकर बिजली उपभोक्ता, कर्मचारी, इंजीनियर और राज्य सरकारों को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर मिल सके।

फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा है। दुबे ने बताया कि केन्द्रीय बिजली मंत्री ने बृहस्पतिवार को इस विधेयक पर उठायी गयी आपत्तियों पर स्पष्टीकरण दिया है जो ‘बेतुका और आंखों में धूल झोंकने वाला’’ है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में बिजली की दरें तय करने का अधिकार नियामक आयोग से छीन लेने के प्रावधान हैं। इस पर मंत्री ने कहा है कि राज्य सरकार जिसे चाहेगी, सब्सिडी दे सकती है। अनुदान राशि को लाभार्थी के बैंक खाते में जमा कर दिया जाएगा। मगर सवाल यह उठता है कि बिल में बेतहाशा बढ़ोत्तरी होने के बाद गरीब उपभोक्ता बिल जमा करने के लिये पहले इतना धन कहां से लायेगा।

दुबे ने बताया कि इसके अलावा नये विधेयक के अनुसार केन्द्र के साथ-साथ राज्यों के नियामक आयोगों के भी चयन का काम उच्चतम न्यायालय के सेवारत न्यायाधीश की अगुवाई वाली समिति करेगी। बिजली मंत्री ने इन मुद्दों पर भी ‘बेतुका’ स्पष्टीकरण दिया है। साथ ही कहा है कि विधेयक को संसद के मानसून सत्र में पारित कराया जायेगा। उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर मांग की है कि वे विद्युत (संशोधन) विधेयक को संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित करने की कोशिश को रोकने की सार्थक पहल करें ताकि बिजली उपभोक्ताओं विशेष रूप से किसानों और बिजली कर्मियों के हितों की रक्षा की जा सके।

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Umakant yadav