रोजगारपरक पाठ्यक्रम लांच: ध्यानचंद बोले- रोजगार की गारंटी, खिलाड़ियों की खेल प्रतिभा को निखारेगी

punjabkesari.in Tuesday, Sep 27, 2022 - 10:15 PM (IST)

गाजियाबाद: हॉकी के पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद ने खेल प्रतिभाओं की राह में आजीविका को सबसे बड़ी बाधा बताते हुए कहा कि किसी खिलाड़ी को खेल के प्रति उसके जुनून को पूरा करने के बाद रोजगार की गारंटी मिलना, सबसे बड़ी चुनौती को पार करने के समान है।       

खिलाड़ियों के लिये रोजगारपरक पाठ्यक्रम को लाँच
ध्यानचंद ने खेल प्रतिभाओं को निखारने का मंच मुहैया करा रहे गाजियाबाद स्थित संस्थान आईएमटी में मंगलवार को खिलाड़ियों के लिये रोजगारपरक पाठ्यक्रम को लाँच किये जाने के अवसर पर कहा कि यह पहल खिलाड़ियों की भावी पीढ़ी को सुरक्षित भविष्य की गारंटी प्रदान करेगी। गौरतलब है कि ध्यानचंद की मौजूदगी में आईएमटी गाजियाबाद के स्पोटर्स रिसर्च सेंटर के प्रमुख डा कनिष्क पाण्डेय की टीम द्वारा डिजायन किये गये इस कोर्स को लाँच किया गया।       

इस पाठ्यक्रम से खिलाड़ियों का भविष्य होगा उज्ज्वल
इस कोर्स को ‘खिलाड़ी रोजगार परक कौशल संवर्द्धन पाठ्यक्रम' नाम दिया गया है। इसकी लाँचिंग के अवसर पर मशहूर हॉकी खिलाड़ी इकबाल जफर, भारतीय हैंडबॉल टीम के उपकप्तान नवीन पूनिया और केन्द्र सरकार के पूर्व सचिव विजय शंकर पाण्डेय सहित खेल जगत की अन्य प्रतिभायें मौजूद थीं। डा कनिष्क पाण्डेय ने कहा कि इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य खिलाड़ी में पेशेवर एवं प्रबंधकीय क्षमताओं का विकास करना है। वह इस पृष्ठभूमि पर नौकरी के लिए आवेदन ना करें कि वे खिलाड़ी है, बल्कि पेशेवर एवं प्रबंधकीय क्षमताओं के आधार पर भी खिलाड़ी किसी भी क्षेत्र में नौकरी के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकें।       

पदक विजेता न बन पाने के कारण बेरोजगारी का दंश झेलते हैं खिलाड़ी
उन्होंने बताया कि पांच माह की अवधि वाले इस पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके खिलाड़ी दाखिला ले सकेंगे। पाठ्यक्रम में दाखिला लेने वालों को कंप्यूटर ज्ञान के अलावा प्रबंधन कौशल, संगठनात्मक कौशल एवं विभागीय कामकाज में सामान्य एवं जटिल समस्याओं के समाधान के गुर सिखाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाले अनगिनत खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्हें पदक विजेता न बन पाने के कारण बाद में बेरोजगारी का दंश झेलना पड़ता है। ये खिलाड़ी अपनी खेल प्रतिभा को निखारने में खासा समय गुजार देते हैं, इस कारण से बाद में किसी अन्य कौशल को सीखना उनके लिये दूभर हो जाता है।       

खिलाड़ियों के पास रोजगार की संभावनायें बहुत कम
डॉ पाण्डेय ने बताया कि इन खिलाड़ियों को भारत में अभिभावक बच्चों को खेल से इसलिए भी दूर रखते हैं कि खिलाड़ियों के पास रोजगार की संभावनायें बहुत कम होती है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को तो विजेता बनने पर बहुत सारे पुरस्कार और अच्छी नौकरी मिल जाती है, परन्तु पदक जीतने की सीढ़ी से मात्र एक पायदान दूर रहने वाले प्रतिभावान खिलाड़ियों को जीवन पर्यंत बेरोजगारी की दुश्वारियां झेलनी पड़ती हैं।       

आईएमटी का कोर्स खिलाड़ियों के लिये मददगार साबित होगा
उन्होंन कहा कि ऐसे अनगिनत खिलाड़ी अपने जीवन का अमूल्य समय खेल प्रतिभा निखारने में लगाकर गुमनामी में जीने को विवश हैं। खेल करियर समाप्त होने पर उनके सामने रोजगार और जीवनयापन का संकट खड़ा हो जाता है। इस संकट से उबारने में आईएमटी का कोर्स उनके लिये मददगार साबित होगा। डा पाण्डेय ने कहा कि आईएमटी गाजियाबाद ने खिलाड़ियों के लिए रोजगार एवं कौशल विकास के अवसर उपलब्ध कराने के लिए यह कोर्स डिजायन किया है।

Content Writer

Mamta Yadav