किसान आंदोलन खत्म, BJP की 21 सीटों पर मंडरा रहा खतरा

punjabkesari.in Wednesday, Oct 03, 2018 - 04:27 PM (IST)

लखनऊः 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 'किसान क्रांति यात्रा' सत्तारूढ़ बीजेपी की परेशानियां बढ़ा सकती है। दरअसल आंदोलन करने वाले अधिकांश किसान उत्तर प्रदेश से आए थे, जिनमें ज्यादा संख्या जाटों की थी। 2014 के चुनाव में जाटों ने बीजेपी को वोट किया था। लेकिन मौजूदा समय में जिस तरह का बर्ताव बीजेपी सरकार ने उनके साथ किया, उससे वह नाराज हैं। जिसके चलते वह आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी से किनारा कर अलग राह चुन सकते हैं। 

जाट और मुस्लिम समुदाय बीजेपी से बना सकता है दूरी 
जाटों का अधिक झुकाव राष्ट्रीय लोकदल से रहा है। कैराना उपचुनाव में महागठबंधन की उम्मीदवार रालोद की तबस्सुम हसन की जीत हासिल की थी। उनकी जीत ने साबित कर दिया कि जाट समुदाय महागठबंधन के साथ है। जाटों के अलावा इन इलाकों में मुस्लिम समुदाय की अच्छी तादाद है। एेसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जाट और मुस्लिम समुदाय बीजेपी से दूरी बना सकता है। एेसे हालात में केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों को अपनी सीट से हाथ धोना पड़ सकता है। 

पश्चिमी यूपी के तहत आती हैं ये सीटें
पश्चिमी यूपी के तहत जो संसदीय सीटें आती हैं, उनमें बागपत के अलावा कैराना, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, नगीना, मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, संभल, अमरोहा, मेरठ, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, आगरा, फतेहपुर सीकरी आदि शामिल हैं। 

Deepika Rajput