CAA लागू होने से पहले ही लखनऊ में 400 शरणार्थियों को मिल चुकी नागरिकता, लंबित मामलों को भी जल्द मिलेगी हरी झंडी

punjabkesari.in Tuesday, Mar 12, 2024 - 01:02 PM (IST)

UP News: केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सोमवार को विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA)-2019 को लागू करने का ऐलान कर दिया। ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान की जा सके। लेकिन इस कानून के लागू होने से पहले ही यूपी की राजधानी लखनऊ में करीब 400 शरणार्थियों को नागरिकता दी जा चुकी है। अभी भी करीब 50 मामले लाइन में है, जिन्हें अभी तक नागरिकता नहीं दी गई। अब केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है और इन लोगों को उम्मीद है कि जल्द ही इन मामलों को भी हरी झंडी मिल जाएगी।

बता दें कि 90 के दशक में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से लखनऊ में काफी बड़ी संख्या में शरणार्थी आए थे। जिनमें से करीब 400 शरणार्थियों को नागरिकता दी जा चुकी है। बहुत से लोग है जिन्हें अभी नागरिकता नहीं मिली है। प्रशासन का कहना है कि कुछ ही मामले लंबित हैं जिन पर जल्दी फैसला लिया जाएगा। एडीएम प्रशासन शुभि सिंह का कहना है कि जो भी मामले नागरिकता के हैं उनको प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित किया जा रहा है।


लखनऊ के शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने में राजनाथ सिंह का बड़ा योगदान रहा। उनके निर्देश पर लखनऊ के सभी मामले सीधे डीएम की निगरानी में रहते हैं, जिससे निस्तारण में देर नहीं लगती है। जिन लोगों को अभी नागरिकता नहीं मिली। उन्हें अब उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें नागरिकता मिल जाएगी। लोगों ने CAA को लागू करने पर सरकार का धन्यवाद किया है। लोगों का कहना है कि इस कानून को लागू करने से हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी। यह सरकार का एक बड़ा कदम है।

दरअसल, CAA को दिसंबर, 2019 में संसद में पारित किया गया था और बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन इसके खिलाफ देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे। यह कानून अब तक लागू नहीं हो सका था क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित किया जाना बाकी था, लेकिन अब रास्ता साफ हो गया है। संसदीय कार्य नियमावली के अनुसार, किसी भी कानून के नियम राष्ट्रपति की मंजूरी के छह महीने के भीतर तैयार किए जाने चाहिए अन्यथा सरकार को लोकसभा और राज्यसभा की अधीनस्थ विधान समितियों से अवधि में विस्तार करने की मांग करनी होगी। वर्ष 2020 से गृह मंत्रालय नियम बनाने के लिए संसदीय समिति से नियमित अंतराल पर अवधि में विस्तार प्राप्त करता रहा है।
 

Content Editor

Pooja Gill