छुआछूतः आज भी है एक ऐसा गांव, जहां दलितों को हैंडपंप छूने की भी नहीं इजाजत

punjabkesari.in Saturday, Feb 03, 2018 - 08:27 PM (IST)

बांदाः आज के दौर में छुआछूत जैसी कुरीतियों को कोई भी नहीं मानता। समाज काफी विकसित हो चुका है। जिसके चलते ऐसी कुरीतियों की समाज में जगह ही नहीं है, लेकिन एक गांव ऐसा भी है जहां आज भी समाज का एक बड़ा वर्ग छुआछूत से जूझ रहा है। जहां दलित वर्ग सार्वजनिक हैंडपंप के पानी से वंछित है। हैरत होती है ये जान कर कि आजादी के 70 साल बाद भी दलितों का एक बड़ा वर्ग छुआछूत के रोग से बुरी तरह प्रभावित है।

जानकारी के मुताबिक मामला बबेरू क्षेत्र के मुरवल गांव का है। जहां पर आज भी ऊपरी जाति के दरवाजे लगे सरकारी हैंडपंप में दलितों को पानी भरने की इजाजत नहीं है। मुरवाल गांव की दलित बस्ती में लगे 2 सरकारी हैंडपंप खराब हो गए हैं। जिसकी वजह से दलित बस्ती में रहने वाले लोगों को पानी लेने के लिए दूसरे नल में जाना पड़ता है।

दलितों का कहना है कि जो नल लगा है उस हैंडपंप से उन्हें पानी भरने के लिए मना किया जाता है। कारण यह है कि हम लोग दलित हैं और लोग कहते हैं कि जिस नल में हम पानी भरते है वह नल छूत का हो जाता है। पीड़ितों का कहना है कि अगर उन्होंने नल में पानी भर लिया तो दूसरे लोग नल को धोकर ही इस्तेमान करते हैं।

पीड़ितों की मांग है कि इनकी बस्ती के नल ठीक कराए जाएं। जिससे इन्हें पानी भरने में कोई दिक्कत ना हो और दूसरों से इनका पानी भरने को लेकर झगड़ा न हो।