मिसाल: झांसी की पहली महिला ऑटो चालक बनी अनीता, कांग्रेसियों ने महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति भेंटकर किया सम्मानित

punjabkesari.in Thursday, Jun 10, 2021 - 09:55 PM (IST)

झांसी: कोरोना काल में आर्थिक संकट, अपने परिवार के भरण पोषण के लिए कई जगह काम करने के बाद खुद का ऑटो रिक्शा उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में दौड़ाकर जिले की पहली महिला ऑटो चालक बनी अनीता चौधरी का गुरूवार को कांग्रेसियों ने महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति भेंटकर सम्मान किया। कांग्रेस जिला व्यापार प्रकोष्ठ के तत्वाधान में जिला अध्यक्ष व्यापार प्रकोष्ठ यूथुप जैन पिंकी के तत्वाधान में झांसी की प्रथम महिला ऑटो चालक को रानी लक्ष्मी बाई सम्मान से महारानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति और पौधा भेंट कर एवं शॉल उढ़ाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य एवं विशिष्ट अतिथि शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ उपस्थित रहे। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बहन अनीता चौधरी ने झांसी की महिलाओं का सम्मान बढ़ाया है उन्होंने आत्मनिर्भरता की ओर जो कदम बढ़ाया है वह महिला सशक्तिकरण का एक उदाहरण है! शहर अध्यक्ष ने कहा कि बहन अनीता चौधरी ने एक साहसिक कदम उस दिशा में बढ़ाया है जिसमें अभी तक केवल पुरुषों का वर्चस्व रहा है।

प्रथम महिला ऑटो चालक का गौरव झांसी महानगर में उन्होंने प्राप्त किया और संपूर्ण नारी शक्ति को उसका एहसास दिलाया! अपने अध्यक्षीय भाषण में युथुप जैन पिंकी ने कहा कि बहन अनीता ने साबित कर दिया कि उन्होंने महारानी लक्ष्मी बाई की वीरता और निर्भीकता को अपने जीवन में आत्मसात किया है और अपने परिवार को चलाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है, हम सब झांसी वासियों को उन पर गर्व है! इस दौरान नवाबाद के तालपुरा निवासी 36 वर्षीय अनीता चौधरी ने बताया कि शादी के कुछ समय के बाद से अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए काम करने घर से बाहर निकली और उसने समाज की परवाह न करते हुए ईमानदारी व लगन से भगवंत पुरा स्थित एक डिस्पोजल फैक्ट्री में करीब 10 वर्षों तक काम किया। इसके बाद 2 वर्ष पाल कॉलोनी में बोरी बनाने वाली फैक्ट्री में काम किया, लेकिन वहां सुपरवाइजर से किसी बात को लेकर कहासुनी होने पर इस साहसी महिला ने ठान लिया कि किसी की कहासुनी से अच्छा है कि क्यों न स्वयं का काम ही किया जाये,और अब किसी की नौकरी नहीं करना।इस पर अनीता ने झांसी शहर की सड़कों पर टैक्सी चलाने का फैसला लिया और उसने किसी की परवाह न करते हुए एक सीएनजी टैक्सी फाइनेंस कराई और स्वयं ही उसे चलाना शुरू कर दिया।              

अनीता ने बताया कि वह अब अपने स्वयं के काम से बहुत खुश है और सुबह 5 से 9 बजे तक शाम को 5 से 8 बजे तक टैक्सी चलाकर 700 से 800 रुपये कमा कर अपने पति व तीन बच्चों का भरण पोषण कर रही है। अनीता ने बताया कि उसकी शादी 1999 में हुई थी और पहले उसके पति फल का ठेला लगाते थे किंतु कुछ वर्षों से कोई काम नहीं करते हैं इसलिए वह स्वयं कार्य कर कर अपना परिवार चलाती है।

Content Writer

Umakant yadav