बेबसी: दिल्ली से मजदूर का शव लाने में नाकाम परिवार ने 'पुआल' की अंत्येष्टि की
punjabkesari.in Tuesday, Apr 21, 2020 - 04:10 PM (IST)
गोरखपुर/ दिल्ली: कोरोना महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के बीच भले ही केंद्र सरकार ने देश के गरीबों, मजदूरों प्रवासी श्रमिकों और गरीब वर्ग की मदद के लिए करोड़ों रुपये का पैकेज दिया हो लेकिन इसका असर कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है। जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी ही एक भावुक कर देने वाली तस्वीर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में देखने को मिली है। जहां दिल्ली में चिकन पॉक्स से मरने वाले 37 साल के एक मजदूर के परिवार को अपने गाँव में शव के स्थान पर 'पुआल' रखकर प्रतीकात्मक तौर पर अंतिम संस्कार की औपचारिकता पूरी करनी पड़ी। लॉकडाउन और आर्थिक संकट के कारण इस मजदूर का परिवार उसके शव को दिल्ली से वापस नहीं ला सका और इस कारण उसे प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार करने पर मजबूर होना पड़ा।
क्या है पूरा मामला?
गोरखपुर जिले में 37 साल के मजदूर सुनील का परिवार रहता है। सुनील दिल्ली में मजदूरी करता था जहां चिकन पॉक्स के कारण उसकी मौत हो गई। सुनील का परिवार गोरखपुर जिले में बेहद गरीबी में गुजर-बसर कर रहा है। चूंकि सुनील का शव दिल्ली में था और गरीबी के कारण परिवार के पास शव को गांव तक लाने की कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में परिवार को प्रतीकात्मक तौर पर पुआल की डमी निकालकर अंतिम संस्कार की औपचारिकता पूरी करनी पड़ी। जानकारी के अनुसार, 37 साल का सुनील मजदूरी करने के लिए इसी साल जनवरी में दिल्ली गया था। वह देश की राजधानी में टायर रिपेयर करने वाली शॉप में काम कर रहा था और किराये के मकान में रहता था। 11 अप्रैल को सुनील बीमार पड़ा, मकान मालिक उसे हिंदूराव अस्पताल लेकर पहुंचे। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण डॉक्टरों ने उसे एक के बाद एक तीन अस्पतालों में रैफर कर दिया। आखिरी बार उसे सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया, जहां 14 अप्रैल को उसकी मौत हो गई। खास बात यह है कि सुनील की कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आई है यानी वह कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं था।
गोरखपुर जिले में रहने वाले सुनील के परिवारवालों के अनुसार, दिल्ली के मकान मालिक ने उन्हें सुनील की बीमारी और उसे ले जाने की जानकारी दी, लेकिन जब उन्होंने मोबाइल फोन पर संपर्क करने की कोशिश की तो संपर्क नहीं हो पाया। आखिरकारक मोबाइल पर 14 अप्रैल को ही संपर्क हो पाया जब परिवार की ओर से सुनील के मोबाइल पर किए गए कॉल को दिल्ली के एक पुलिसकर्मी ने उठाया और सुनील के निधन की जानकारी दी। इस पुलिसकर्मी ने परिवार से यह भी पूछा कि क्या वे दिल्ली आने और शव को अपने गांव वापस ले जाने की व्यवस्था कर सकते हैं? सुनील की पत्नी, पूनम ने बताया कि उसने दिल्ली से शव लाने के लिए यात्रा की व्यवस्था करने के लिए हरसंभव प्रयास किए। गांव के प्रधान से भी बात की लेकिन कोई इंतजाम नहीं हो सका। हर तरफ से निराशा होने के बाद उन्होंने ग्राम प्रधान से दिल्ली पुलिस को फोन करके उनके स्तर (दिल्ली पुलिस के) पर ही दाह संस्कार करने का आग्रह किया।
आर्थिक परेशानी के चलते हम शव वापस नहीं ला सकते: सुनील की पत्नी
पांच बच्चों की मां पूनम ने बताया, ‘मैंने पुलिस से कहा कि हम दिल्ली नहीं आ सकते हैं। ट्रेनें नहीं चल रही हैं और हमारे पास कार किराए पर लेने के लिए पैसे नहीं हैं। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं, लॉकडाउन और आर्थिक परेशानी के चलते हम शव वापस लाने के लिए दिल्ली नहीं आ सकते।’
अंतिम संस्कार की औपचारिकता पूरी नहीं की गई है-दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस के अनुसार, उसने अभी सुनील के अंतिम संस्कार की औपचारिकता पूरी नहीं की है क्योंकि वे मामले में परिवार के जरिये यूपी सरकार की सहमति का इंतजार कर रहे हैं। गांव के प्रधान ने हृष्ठञ्जङ्क को बताया कि सुनील की पत्नी ने कन्सेंट फॉर्म पर दस्तखत कर दिए हैं और यह जल्द ही दिल्ली पुलिस को पहुंचाया जाएगा।
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