लोगों के लिए नजीर बना परिवार: गंभीर बीमारी के साथ संक्रमित परिवार ने होमआइसोलेशन में ही जीती जंग
punjabkesari.in Wednesday, May 19, 2021 - 09:49 PM (IST)
झांसी: कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर जहां एक ओर स्वस्थ लोगों के भी जिंदगी की जंग हारने के कई उदाहरण संक्रमण की दूसरी लहर में सामने आये तो उत्तर प्रदेश के झांसी में एक ऐसा परिवार अन्य लोगों के लिए नजीर के रूप में सामने आया है जिसमें गंभीर बीमारी से ग्रसित दो लोगों और दो अन्य ने कोरोना संक्रमित होने के बावजूद होम आसइसोलेशन में रहकर ही जंग जीती।
जिस परिवार में एक महिला टीबी से ग्रसित थी, एक व्यक्ति कोमोर्बिड था तो उपचाराधीनों में 10 साल की बेटी भी शामिल थी। इस परिवार के चार लोगों ने अपनी हिम्मत और सतकर्ता के बल पर होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना से जंग जीत ली। परिवार की देखभाल कर रहीं बेटी मनीषा ने बुधवार को बताया कि उनकी 64 वर्षीय मां को-मोर्बिड तो थी ही और छह महीने पहले ही जाँच में उन्हें स्पाइनल टीबी की पुष्टि हुयी थी, जिसकी वजह से वह सही से उठ बैठ नहीं पाती हैं। उनका ग्वालियर से इलाज भी चल रहा है। कोविड की दूसरी लहर की शुरुआत में सबसे पहले 80 वर्षीय पिता मैथ्यू मसीह कोविड पॉजिटिव हुए। उनकी देखभाल करते हुए पहले मां लिरिस, फिर मेरी 10 साल की भतीजी धानी और आखिर में मेरी बहन शीना कोविड का शिकार हो गयी। हम बस कोविड जांच और दवाइयों में ही उलझकर रह गए।
पेशे से अध्यापक मनीषा एक ओर परिवार की देखभाल में लगी थी वही दूसरी ओर ऑनलाइन क्लास के साथ बच्चों को भी पढ़ा रही थी। मनीषा बताती है वह परिवार की देखभाल के साथ प्रतिदिन डॉक्टर के संपकर् में रहतीं थीं। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही उन्होने माता पिता को दवाइयां दी। मनीषा बताती है मम्मी पापा की उम्र और बीमारियों को देखते हुये मन में हर पल डर बना रहता था, फिर बच्चों पर इसके असर को सुना और उसके बाद भतीजी की भी तबीयत खराब हुई तो हौसला एकदम टूट रहा था लेकिन धैर्य और कोविड के उचित प्रोटोकाल के साथ हम यह जंग जीत पाये।
प्रोटोकाल पर बात करते हुये मनीषा ने बताया कि चारों लोगों के कोविड पॉजिटिव होने के बाद हमने उनको अलग - अलग आइसोलेट किया, दवाओं के साथ सुबह शाम भाप दिलाना, गरारे करवाना, काढ़ा देना, गरम पानी, पौष्टिक खाना और पूरे टाइम मास्क लगाकर रखना आदि कार्य किए। इसके साथ ही उनका आक्सीजन लेवल, रक्तचाप और शरीर के तापमान को मॉनिटर करते रहते थे। परिणाम स्वरूप अब सब स्वस्थ हैं । मनीषा बताती है कि ऐसी स्थिति में मानसिक संतुलन सही रखना बहुत कठिन होता है, लेकिन यही रखना सबसे ज्यादा जरूरी भी होता है। मानसिक रूप से यदि आप सकारात्मक है तो बीमारी से उबरने में बहुत मदद मिलती है। भारत सहित अन्य देशों में संचालित रॉबिन हुड आर्मी एक वालंटियर ग्रुप है, जो खाने की बर्बादी को बचाने से लेकर कई सामाजिक हित के कार्य करता है। मनीषा इसकी एक सक्रिय सदस्य है और पिछले आठ दिनों से मलिन बस्तियों में भोजन पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं।