प्रधानमंत्री के भाषण पर किसानों ने जताई नाराजगी, कहा-उम्मीदों पर पानी फेर दिया

punjabkesari.in Tuesday, Aug 16, 2016 - 05:21 PM (IST)

मुजफ्फरनगर(फल कुमार): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त के मौके पर लाल किले की प्राचीर से किसानों के गन्ना भुगतान को लेकर दिए गए भाषण से किसान खासा नाराज हैं। किसानों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि देश के किसानों से उनसे काफी उम्मीद थी लेकिन प्रधानमंत्री ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। किसानों ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया है कि वह इस तरह का बयान देकर किसानों को गुमराह कर रहे हैं। 

 
क्या कहा था प्रधानमंत्री ने?
दरअसल प्रधानमंत्री ने कहा था कि लंबे समय से गन्ना का भुगतान न होने से जूझ रहे किसानों को केंद्र सरकार ने काफी मदद की है। प्रधानमंत्री ने कहा की हमने 95 प्रतिशत किसानों के गन्नों का भुगतान कर दिया हैं और बचा हुआ 5 प्रतिशत भुगतान हैं वो जल्द ही करा दिया जाएगा। 
 
किसानों ने जताई नाराजगी
प्रधानमंत्री के इसी भाषण के विरोध में मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में किसानों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। किसानों ने कहा कि हमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बहुत सी उम्मीदें थी लेकिन अब उन सब उम्मीदों पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। किसानों की माने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा भाषण देकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। गन्ना किसानों की माने तो प्रधानमंत्री को इस तरह का भाषण नहीं देना चाहिए था। 
 
अभी भी 4 हजार करोड़ के लगभग है गन्ना किसानों का भुगतान बकाया
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत ने बताया है कि प्रधानमंत्री जी वो ही बोलेंगे जो उनको डाटा दिया जाएगा। उनको उत्तर प्रदेश से डाटा पूर्ण रूप से गलत मिल रहा है। पहले भी जब वो सहारनपुर में आये थे तब भी गन्ने पर गलत बयान दिया था। तब भी प्रधानमंत्री ने कहा था कि गन्ने का बहुत भुगतान हो गया है, कम ही भुगतान रह गया है। इस दौरान प्रधानमंत्री ने लगभग 400-500 करोड़ बकाया की बात कही थी। जबकि अभी भी 4 हजार करोड़ के लगभग गन्ना किसानों का भुगतान बकाया है। जिस किसान को 25 जनवरी में पैसा मिलना चाहिए था उस किसान को आजतक पैसा नहीं मिला। 
 
प्रधानमंत्री की तरह नहीं किसी राजनेता की तरह बोले मोदी 
जब इस मामले में गन्ना किसान धर्मेंद्र मलिक से बात की गई तो उन्होंने प्रधानमंत्री के इस भाषण को काफी निराशाजनक बताया। मलिक ने कहा कि लालकिले से प्रधानमंत्री बोल रहे थे तो मैंने उन्हें सुना, लेकिन हमें ऐसा लगा जैसे कोई राजनेता बोल रहा हो प्रधानमंत्री नहीं। गन्ना भुगतान पर बहुत गलत आंकड़ा उन्होंने दिया। मलिक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि 95 प्रतिशत किसानों का भुगतान हो गया है जबकि हकीकत यह है कि केवल उत्तर प्रदेश में लगभग 3 हजार करोड़ रूपये किसानों के बकाया हैं। पुरे देश में किसानों का 10 हजार करोड़ रुपया बकाया है। मलिक ने कहा कि किसानों को प्रधानमंत्री जी से काफी उम्मीदें थी। लाल किले की प्राचीर से जो भाषण दिया जाता है वो देश का विजन डॉक्यूमेंट होता है। आज किसानों को प्रधानमंत्री जी से आशा थी की वो देश के किसानों की आत्महत्या पर बोलेंगे, किसानों को उचित मूल्य कैसे मिले, किसानों  को कैसे बचाया जाए पर बोलेंगे लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं बोला। वो भारतीय जनता पार्टी के नेता की तरह से बोल रहे थे। 
 
प्रधानमंत्री ने पूरे देश के किसानों की बात की
पूर्व कृषि राज्य मंत्री और भाजपा सांसद संजीव बालियान से बात की गई तो उन्होंने प्रधानमंत्री का बचाव किया और कहा कि उन्होंने पूरे देश के किसानों की बात की है न की अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों की। बलियान के कहा कि कुछ ग्रुप हैं जैसे मवाना ग्रुप, मोदी ग्रुप, सम्भावली राणा ग्रुप है, इनमें से तीन ग्रुप ने तो अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया है। इन चार ग्रुप्स को छोड़ दें तो ज्यादातर पेमेंट हो चुका है। इन्हीं चार का नहीं हुआ है। बार-बार प्रयास किया गया इनके ऊपर मुकदमा दर्ज हो, मालिकों को जेल जाना चाहिए। लेकिन प्रदेश सरकार की मिलीभगत है। ना तो मिल मालिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो रहा है और ना ही मिल मालिक जेल जा रहे हैं। ये बातें प्रधानमंत्री जी की जानकारी में निश्चित रूप से लाई जाएगी कि इन ग्रुप्स के खिलाफ प्रदेश सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। किसानों का एक साल बाद भी पैमेंट नहीं हुआ है। इन ग्रुप की वजह से पुरे उत्तर प्रदेश में समस्या है। 
 
अबतक जेल में होते मिल मालिक 
बलियान ने कहा कि जब प्रधानमंत्री बात करते हैं तो वह पूरे देश की बात करते हैं। वो किसी एक प्रवेश की या एक ग्रुप की बात नहीं करते हैं क्योंकि मैं यहां से एक जन प्रतिनिधि हूं मेरे लिए समस्या मवाना ग्रुप है। प्रधानमंत्री जी ने बात की है तो पुरे देश की बात की है। अगर आप पूरे देश को देखेंगे तो बात ठीक है लेकिन हमारी समस्या दूसरी है। चीनी के आधे रेट होने के बावजूद मिल मालिक किसानों को पैमेंट नहीं कर रहे। इनको तुरंत जेल भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गन्ना भुगतान नहीं करती पहली बात तो गन्ना भुगतान अक्सर शुगर मिल्स करती हैं। सोसायटी के जरिए मिल में गन्ना जाता है और सोसायटी प्रदेश सरकार के अधीन है जो जिम्मेदार है। बलियान ने कहा कि गन्ना मिलें प्रदेश सरकार के अधीन हैं इन मिल मालिकों पर सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है। अगर गन्ना मिलें केंद्र सरकार के अधीन होती तो अबतक मिल मालिक जेल में होते।