''बाप मंत्री, एक बेटा सांसद तो दूसरा बेटा बनना चाहता है MLC, ऐसे राजनीतिक ब्लैकमेलरों की दुकाने होगी बंद''

punjabkesari.in Monday, Nov 01, 2021 - 12:52 PM (IST)

लखनऊ: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर पर परोक्ष हमला करते हुये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसे राजनीतिक ब्लैकमेलरों की दुकान बंद करनी होगी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन को संबोधित करते हुए योगी ने रविवार को कहा ‘‘ कुछ लोगों की सोच परिवार के विकास तक सीमित है। बाप मंत्री और एक बेटा सांसद तो दूसरा बेटा एमएलसी बनना चाहता है। ऐसे राजनीतिक ब्लैकमेलरों की दुकान बंद करनी होगी।''       
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उन्होंने कहा ‘‘ मुहम्मद गोरी और आक्रांता गाजी के अनुयायी वोट बैंक के भय से हिन्दू रक्षक महाराजा सुहेलदेव के नाम से डरते हैं। इनको भय है कि सुहेलदेव का स्मारक बनने के बाद लोग गाजी को भूल जाएंगे और जनता राजनीतिक ब्लैकमेलरों को कूड़े में फेंक देगी। इसी भय से वह राष्ट्र रक्षक सुहेलदेव के स्मारक का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध कर रहे थे।''       
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2017 में योगी कैबिनेट में मंत्री पद की शपथ लेने वाले ओम प्रकाश राजभर का नाम लिये बगैर मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘ मेरी कैबिनेट में राजभर समाज के दो मंत्री थे। कैबिनेट की बैठक में एक मंत्री ने बहराइच में बनने वाले महाराजा सुहेलदेव के स्मारक प्रस्ताव का विरोध किया था जबकि अनिल राजभर चाहते थे भव्य स्मारक बने। आज बहराइच में महाराजा सुहेलदेव का भव्य स्मारक बन रहा है। भाजपा सरकार ने बहराइच मेडिकल कॉलेज का नाम महाराजा सुहेलदेव के नाम पर किया है।'' 

उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों से पूछा जाना चाहिए कि इन दलों ने महाराजा सुहेलदेव के लिए क्या किया जबकि देश पर सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस ने सैकड़ों स्मारकों का नामकरण नेहरू खानदान के नाम पर किया। सपा और बसपा को भी यूपी में चार-चार बार शासन करने का मौका मिला लेकिन एक भी स्मारक का नामकरण सुहेलदेव के नाम पर नहीं किया। योगी ने कहा सपा, बसपा और कांग्रेस खानदान के विकास तक सीमित हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी देश को परिवार मानते हैं। पहले विपक्षी दलों के नेताओं की हवेली बनती थी। 

आज गरीब की हवेली बन रही है। पहले बिजली कैद कर ली जाती थी, आज सबको मिल रही है। आज हर गरीब को उसकी योग्यता पर नौकरी मिल रही है। पहले नौकरी निकलते ही एक खानदान वसूली पर निकल जाता था, एक जाति को नौकरी मिलती थी। भाजपा और अन्य दलों में यही फकर् है। गौरतलब है कि 2017 का चुनाव सुभासपा ने भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था और सरकार में भागीदारी भी की थी हालांकि पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुये सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। हाल ही में ओम प्रकाश राजभर ने समाजवादी पाटर्ी (सपा) के साथ 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है। 


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Content Writer

Tamanna Bhardwaj

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