फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट मामले में एक्शन, अवैध तरीके से मांझा बनाने के आरोप में केस दर्ज

punjabkesari.in Sunday, Feb 09, 2025 - 03:40 PM (IST)

बरेली (मो0  जावेद खान): बरेली के बाकरगंज में मांझा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस की तरफ से किला थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने ब्लास्ट में जान गंवाने वाले तीनों मृतकों पर एफआईआर दर्ज की है। शुरुआती जांच में पुलिस ने माना कि यहां पर अवैध तरीके से मांझा तैयार किया जा रहा था। जिस वजह से मांझा को तेज धार का बनाने के लिए जो मिश्रण तैयार किया जा रहा था। उसमें खतरनाक केमिकल का इस्तेमाल किया गया था। जिस वजह से विस्फोट हुआ और तीन जाने चली गई।

बिना लाइसेंस के चल रही थी सकरी गली में अवैध मांझा फैक्ट्री
किला थाना क्षेत्र में स्थित बाकरगंज इलाके में शुक्रवार सुबह लगभग 10 बजकर 14 मिनट पर ब्लास्ट हुआ। जिसमें मांझा फैक्ट्री का मालिक अतीक रज़ा खां (50) और कारीगर फैजान (24) और सरताज (25) की मौत हो गई। जिसके बाद मौके पर कई थानों की पुलिस पहुंची। डीएम रविंद्र कुमार और एसएसपी अनुराग आर्य भी मौके पर पहुंचे। फील्ड यूनिट भी मौके पर पहुंची। जांच में पता चला कि जिस मकान में मांझा बनाया जा रहा था। वहां पर अवैध रूप से विस्फोटक सामग्री का भंडारण किया गया था। जिसका उपयोग मांझा बनाने में किया जा रहा था। दरोगा ने लिखाई एफआईआर दरोगा प्रमोद कुमार की ओर से किला थाने में इस हादसे में जान गंवाने वाले अतीक, फैजान और सरताज के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। पुलिस ने बीएनएस की धारा 45, 46, 61, 61(2), 62, 105, 106, 324(4), 5, 9B, 9C, 3, 4, 5 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। डीएम रविंद्र कुमार भी मामले की जांच करवा रहे है।

ब्लास्ट के समय का सीसीटीवी फुटेज गायब
खास बात ये है कि जिस फैक्ट्री में मांझा बनाया जा रहा था, वहां 4 सीसीटीवी कैमरे लगे है। ब्लास्ट से पहले और ब्लास्ट के बाद के समय की फुटेज पुलिस को मिले जबकि जिस वक्त ब्लास्ट हुआ उस समय का फुटेज गायब है। पुलिस ने जब स्थानीय लोगों से पूछताछ की लोगों ने बताया कि उस वक्त लाइट चली गई थी और बाद में आ गई थी। लेकिन पुलिस को ये बात हजम नहीं हो रही कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। पुलिस को शक है कि उस वक्त की वीडियो समय रहते ही डिलीट कर दी गई है।

 जहरीले केमिकल मिलाने का आरोप 
कभी-कभी लेड ऑक्साइड या अन्य जहरीले केमिकल मिलाए जाते हैं ताकि मांझा अधिक चमकदार और टिकाऊ हो। ये केमिकल त्वचा और सांस के जरिए शरीर में जाकर विषाक्त प्रभाव डाल सकते हैं। पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक होते हैं। क्योंकि ये मिट्टी और पानी को दूषित कर सकते हैं। मांझे को रंगीन और आकर्षक बनाने के लिए रासायनिक रंगों का उपयोग किया जाता है। इनमें अक्सर एनीलिन डाई, एक्रेलिक डाई और ऑक्साइड पिगमेंट मिलाए जाते हैं, जो त्वचा और आंखों में जलन पैदा कर सकते हैं। पारंपरिक सूती धागे की जगह नायलॉन या पॉलिएस्टर का उपयोग किया जाता है। यह धागा खतरनाक रूप से मजबूत होता है और जल्दी नष्ट नहीं होता, जिससे यह पर्यावरण के लिए हानिकारक बन जाता है।

चाइनीज मांझे के रसायनों से होने वाले खतरे
त्वचा कटने, आंखों में चोट लगने और सांस की समस्याओं का खतरा। लेड और अन्य विषैले तत्व कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का कारण बन सकते हैं। धारदार मांझे से हर साल हजारों पक्षी घायल या मारे जाते हैं। धातु के अंश पक्षियों के शरीर में घुसकर उन्हें धीमी मौत देते हैं। बिजली के तारों में फंसने का खतरा बढ़ जाता है। धातु मिश्रित मांझे करंट लगने और शॉर्ट सर्किट का कारण बन सकते हैं।चाइनीज मांझा खतरनाक रसायनों से तैयार किया जाता है, जिसमें गोंद, कांच पाउडर, धातु पाउडर, प्लास्टिक, लेड ऑक्साइड और सिंथेटिक रंग शामिल होते हैं।


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Content Writer

Ramkesh

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